नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सांसदों ने कांग्रेस पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाकर बुधवार को बजट सत्र के बाद के 23 दिनों का वेतन और अन्य भत्ते नहीं लेने का फैसला कर एक उच्च आदर्श स्थापित किया। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रदर्शन करने के कारण यह सत्र लगभग पूरी तरह निर्थक रहा था। फैसले की घोषणा करते हुए संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि राजग ने निश्चय किया है कि उसके सांसद उन 23 दिनों का अपना वेतन और अन्य भत्ते नहीं लेंगे जिन दिनों में कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही नहीं होने दी थी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस महत्वपूर्ण बिलों को पारित होने से रोककर गैर लोकतांत्रिक कार्य कर रही है जिससे हमारे कर दाताओं का धन बरबाद होता है।" रोचक बात ये है कि संसद में अवरोध के लिए अनंत कुमार ने मात्र कांग्रेस पर निशाना साधा जबकि अन्ना द्रमुक, तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस ने भी विभिन्न मौकों और विभिन्न मुद्दों पर सदन की कार्यवाही बाधित की है।
उन्होंने कहा, "यह जनता का पैसा है। सांसदों को जनता का काम करने के लिए चुना गया है। जब कोई काम नहीं हुआ तो हमने इसका रुपया नहीं लेने का फैसला किया।" अनंत कुमार ने कहा, "नरेंद्र भाई मोदी को मिले जनादेश के बाद कांग्रेस असहिष्णु हो गई है। हम जनता की बात करते हैं।" पांच मार्च को शुरू हुआ बजट सत्र का दूसरा और अंतिम भाग बिना चर्चा के ही समाप्त हो गया था। इसके लिए विपक्षी पार्टियों और सरकार ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए थे।
जहां पहले पांच दिन कांग्रेस ने बैंक घोटाले को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित की, इसके बाद वाईएसआर कांग्रेस और तेदेपा ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव ले आए, इनके अलावा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा ने भी कार्यवाही बाधित की।
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