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डिग्री विवाद: स्मृति ईरानी को झटका, पटियाला कोर्ट में याचिका स्वीकार

नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती है। बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अहमर खान की याचिका को सुनवाई के लायक माना है। इससे यह

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नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती है। बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अहमर खान की याचिका को सुनवाई के लायक माना है। इससे यह तय होता है कि आने वाले दिनों में ईरानी के खिलाफ चुनाव आयोग को दी गई गलत जानकारी के मामले में मुकदमा चलेगा। गौरतलब है कि बीते 11 साल में चुनाव आयोग को दिए 3 हलफनामों में ईरानी ने अपनी शिक्षा से जुड़ी जानकारी गलत दी।

पटियाला हाउस मजिस्ट्रेट ने बुधवार को शिकायतकर्ता की ओर से पहले दी गई दलीलों पर गौर करने के बाद अर्जी को सुनवाई करने लायक माना। इस मामले की सुनवाई 28 अगस्त को होगी। इस पर आम आदमी पार्टी ने स्मृति की गिरफ्तारी की मांग की है। वहीं, कांग्रेस  ने स्मृति को पद से हटाने की मांग की है।

क्या था पूरा मामला?

अहमर खान जो कि पेशे से लेखक है उनका कहना है कि स्मृति ईरानी ने अपनी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे मं गलत जानकारी दी थी। उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में अलग अलग डिग्री दिखाई है।  

एफिडेविट पर कोर्ट में क्या उठे थे सवाल?

इस मामले पर अहमर खान की तरफ से पेश वकील के.के. मनन ने दलीलें दी थीं। उन्होंने तीनों एफिडेविट में विरोधाभास होने पर सवाल उठाए थे।

  • पहला एफिडेविट : 11 साल पहले अप्रैल 2004 में लोकसभा चुनाव के वक्त स्मृति की तरफ से दायर एफिडेविट में कहा गया कि उन्होंने 1996 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से करसपॉन्डेंस बीए किया है।
  • दूसरा एफिडेविट : 2011 में स्मृति ने गुजरात से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। इस बार अपने हलफनामे में उन्होंने बताया कि वे डीयू के स्कूल ऑफ करसपॉन्डेंस से बी.कॉम पार्ट-1 कर चुकी हैं।
  • तीसरा एफिडेविट : 16 अप्रैल 2014 को स्मृति ने उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया। इस बार उन्होंने चुनाव आयोग को सौंपे एफिडेविट में कहा कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बी.कॉम. पार्ट-1 किया है।
  • वकील मेनन ने आरोप लगाया कि स्मृति द्वारा हर हलफनामे में अलग-अलग जानकारी देना जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 125ए के तहत अपराध है। इसके तहत अधिकतम 6 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

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