नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में पानी की गुणवत्ता को लेकर जारी राजनीति ने आज उस वक्त और तूल पकड़ लिया, जब केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनौती दी कि दिल्ली का पानी सुरक्षित है तो आधिकारिक बैठकों में नल का पानी पिलाएं। गौरतलब है कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली से लिये गए पानी के सभी 11 नमूने जल की गुणवत्ता मापने वाले 19 मापदंडों पर खरे नहीं उतरे। इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की गुणवत्ता देश में सबसे खराब है। इसके बाद से ही नेताओं के बीच वाकयुद्ध जारी है।
पासवान ने कहा, ‘‘उन्हें (केजरीवाल को) अपनी गलती स्वीकार कर दिल्ली के लोगों से माफी मांग लेनी चाहिए। अगर उन्हें लगता है कि दिल्ली का पानी शुद्ध है तो उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में बीआईएस मानक अनिवार्य कर देने चाहिए। ’’
अगर BIS के मानकों को पूरा करने वाले पानी खराब गुणवत्ता के पाए गए तो उपभोक्ता दिल्ली सरकार को अदालत में ले जा सकता है। पासवान ने कहा, ‘‘मैं उन्हें (केजरीवाल को) चुनौती देता हूं कि अगर उन्हें लगता है कि पानी शुद्ध है तो आधिकारिक बैठकों में नल का पानी पिलाएं।’’
उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली जल बोर्ड का पानी शुद्ध है तो दिल्ली में अधिकतर लोग आरओ (विपरीत परासरण) क्यों लगा रहे हैं? पासवान ने कहा कि उपभोक्ता मामलों का मंत्री होने के नाते उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है और पानी के नमूने केवल दिल्ली से नहीं पूरे देश से लिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ वह क्यों निराश और अधीर हो रहे हैं?’’
पासवान ने कहा, ‘‘केजरीवाल एक गलती को छुपाने के लिए कई और गलतियां कर रहे हैं। वह मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगा रहे हैं। वह खुद राजनीति कर रहे हैं और हम पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं जमीन से जुड़ा नेता हूं। मैं दूसरों के मामले में दखल नहीं देता। लेकिन अगर कोई मेरे मामलों में दखल देगा तो मैं चुप नहीं रहूंगा।’’ पासवान ने कहा, ‘‘हम कैसी राजनीति कर रहे हैं? मेरी पार्टी एलजेपी तो दिल्ली में चुनाव भी नहीं लड़ती।’’
पासवान ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) पर सवाल उठाने के लिए भी केजरीवाल की आलोचना की। बीआईएस एक स्वायत्त निकाय है, जिसने विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के लिए लगभग 25,000 गुणवत्ता मानक तय किए हैं। पासवान ने कहा कि बीआईएस और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के तकनीकी अधिकारियों वाली एक समिति का जल्द गठन किया जाना चाहिए और इस महीने के अंत तक उसे राष्ट्रीय राजधानी के 70 जिलों और 140 वार्ड से पानी के नमूने लेने चाहिए।
राजनीति से जुड़े किसी शख्स के समिति में नहीं होने की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि पानी के नमूनों की जांच सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में की जानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक होनी चाहिए। केजरीवाल द्वारा घोषित की गई 32 समितियों का अब तक गठन ना किए जाने पर पासवान ने हैरानी जतायी और अपनी ओर से इन समितियों के लिए बीआईएस के 32 अधिकारियों के नाम की एक सूची जारी की।
पानी का नमूना एलजेपी के सदस्य के घर से लिए जाने के आरोप पर पासवान ने पूछा कि क्या शुद्ध पानी की आपूर्ति केवल आप आदमी पार्टी के सदस्यों के घर की जाती है। इससे पहले आज दिन में दिल्ली के पानी की गुणवत्ता के संबंध में गलत रिपोर्ट देने के मामले में आम आदमी पार्टी ने केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान का इस्तीफा मांगा था। आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने पत्रकारों से कहा था कि पासवान से पूछे कि किसके उकसाने पर उन्होंने झूठ बोला और अपने आरोपों के जरिए दिल्ली को बदनाम किया।
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