नयी दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में वाम दलों के सदस्यों के विरोध के बीच ट्रेड यूनियन संशोधन विधेयक 2019 पेश कर दिया जिसमें 1926 के कानून में संशोधन का प्रावधान है। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने व्यवसाय संघ (संशोधन) विधेयक पेश किया जिसमें नीति निर्माण में श्रमिक संगठनों की भागीदारी के लिए कानूनी रूपरेखा बनाने का प्रावधान है। देश में विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को शुरू होने के बीच कामगारों से संबंधित विधेयक पेश किये जाने का वामपंथी दलों के सदस्यों ने विरोध किया।
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक पेश किये जाने पर आपत्ति जताते हुए सदन के कामकाज के कुछ नियमों और संविधान के कुछ अनुच्छेदों का हवाला दिया। माकपा के ए संपत ने कहा कि सदस्यों को आज सुबह ही विधेयक की प्रति मिली है। इससे पहले कामकाज की सूची में इसका कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि जब लाखों लोग सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों का विरोध हड़ताल करके कर रहे हैं, ऐसे में इस तरह का विधेयक नहीं लाया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक ‘असंवैधानिक’ है।
माकपा के एम बी राजेश और कांग्रेस के शशि थरूर ने भी विधेयक पेश किये जाने का विरोध किया। थरूर ने कहा कि सरकार को बिना पूर्व सूचना के इतनी जल्दबाजी में विधेयक पेश करने के विशेष कारण बताने चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि अभी केवल विधेयक पेश किया जा रहा है। बाद में इस पर चर्चा हो सकती है।
श्रम मंत्री गंगवार ने कहा कि अभी तक नीति निर्माण में ट्रेड यूनियनों की भागीदारी का कोई मानदंड नहीं था। श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधित्व के लिए कानूनी रूपरेखा बनानी जरूरी थी जिसके लिए यह विधेयक लाया गया है। इस पर विस्तृत चर्चा करके इसे पारित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय मजदूर संगठन और इन्टक का एक धड़ा समेत छह श्रमिक संगठन मंगलवार को शुरू हुई हड़ताल में भाग नहीं ले रहे। इसलिए इस हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने वाम दलों के सदस्यों के विरोध के बीच विधेयक पेश किया।
इस दौरान माकपा समेत वाम दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। गौरतलब है कि विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को शुरू हुई। इन यूनियनों ने सरकार पर श्रमिकों के प्रतिकूल नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है।
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