नयी दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने यहां कहा कि संसद के कामकाज में व्यवधान लोगों के साथ किया गया विश्वासघात है और इससे विपक्ष की बजाए सरकार का हाथ मजबूत होता है। पूर्व वित्त मत्री पी चिदंबरम की पुस्तक ‘‘स्पीकिंग ट्रूथ टू पावर’’ के विमोचन के मौके पर मुखर्जी ने कहा कि इस पुस्तक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने वही किया है जो विपक्ष के एक नेता को करना चाहिए - वाम की तरफ से सच बोलना चाहिये।
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमारे लोकतंत्र में कुछ लोग मुझसे सहमत नहीं है क्योंकि मैं उनलोगों में से एक हूं जिसका मानना है कि संसद में व्यवधान इस देश के लोगों के साथ विश्वासघात है।’’ मुखर्जी ने कहा कि एक सांसद संसद की सदस्यता के लिये और किसी का नहीं बल्कि जनता का ऋणी होता है क्योंकि संसद के सभी सदस्यों और भारत के राष्ट्रपति तक को चुनाव में जीत के लिए वोट ‘‘मांगना’’ पड़ता है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जीत के बाद यह एक सैद्धांतिक व्यवस्था बना ली जाती है कि व्यवधान एक प्रभावी संसदीय हस्तक्षेप है, ‘‘दुर्भाग्य से, मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो इससे सहमत नहीं है।’’
Latest India News