महाराष्ट्र: मराठवाड़ा में पानी संकट के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठी पंकजा मुंडे
भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने सोमवार को महाराष्ट्र में पानी के संकट की तरफ राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए सांकेतिक भूख हड़ताल शुरू की है।
औरंगाबाद: भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने सोमवार को महाराष्ट्र में पानी के संकट की तरफ राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए सांकेतिक भूख हड़ताल शुरू की है। पिछले कुछ समय से भाजपा से नाराज चल रहीं पूर्व मंत्री ने मुद्दे से अधिक खुद की तरफ लोगों का ध्यान खींचा। अपनी ओर ध्यान आकर्षित कराया है। पार्टी के शीर्ष नेता औरंगाबाद संभागीय आयोग के बाहर विरोध स्थल पर उनसे मिलने पहुंच रहे हैं।
उनकी बहन और सांसद प्रीतम मुंडे भी उनके साथ ही बनी हुई हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं में केंद्रीय राज्य मंत्री रावसाहेब पाटील-दानवे, विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर और पूर्व स्पीकर हरिभाऊ बागड़े उनसे मिलने पहुंचे।
कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी पंकजा की दिन भर की भूख हड़ताल के दौरान उनके साथ शामिल होने की योजना बनाई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटील भी इस भूख हड़ताल में मौजूद रहेंगे या नहीं। अपने संक्षिप्त संबोधन में पंकजा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार की आलोचना करने के लिए नहीं है, लेकिन वह मराठवाड़ा क्षेत्र में गंभीर जल संकट के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित कराना चाहती हैं।
उन्होंने ठाकरे से आग्रह किया कि वे मराठवाड़ा में लोगों की पानी की समस्याओं को हल करने के लिए पिछली फडणवीस सरकार द्वारा घोषित 'मराठवाड़ा वाटर ग्रिड' को लागू करने के लिए तुरंत कदम उठाएं।
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सितंबर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस ने पीने, औद्योगिक और कृषि उद्देश्यों के लिए मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में पानी की कमी के मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए एकीकृत पाइप नेटवर्क स्थापित करने को 3,122 करोड़ रुपये की परियोजना की घोषणा की थी।
मुंडे पर कटाक्ष करते हुए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा, "अगर उन्होंने पांच साल में काम किया होता तो अब आंदोलन शुरू करने की स्थिति नहीं होती।" पंकजा मुंडे ने अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के जयंती समारोह में 12 दिसंबर को बीड में घोषणा की थी कि वह 27 जनवरी को आंदोलन शुरू करेंगी।