पटना: संशोधित नागरिकता कानून एवं राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के प्रदेश के मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले में प्रस्तावित रैली में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के शामिल होने पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गयी है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने फोन पर भाषा को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कानून के विरोध में हमारी पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी रविवार :29 दिसंबर: को किशनगंज आ रहे हैं और इस रैली में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी भी शामिल होंगे।
एआईएमआईएम की इस रैली में भाग लेने को लेकर टिप्पणी के लिए मांझी तत्काल स्वयं उपलब्ध नहीं हो सके पर महागठबंधन में शामिल उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इसकी पुष्टि की है। पांच दलों वाले महागठबंधन में लालू प्रसाद की पार्टी राजद, कांग्रेस एवं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल हैं। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा “हम हैरान हैं कि मांझी जैसे दिग्गज राजनेता को यह समझना चाहिए कि बिहार के बाहर जहां भी ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उन्होंने केवल भाजपा की मदद की है और अगर मांझी की यही मंशा है तो अच्छा होगा कि वह राजग में वापस चले जाएं ।''
बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद्र मिश्र ने एआईएमआईएम को "भाजपा की बी टीम" करार देते हुए मांझी पर सांप्रदायिक ताकतों के साथ लड़ने के नाम पर उसकी मदद करने का आरोप लगाया । वहीं बिहार में भाजपा के साथ सत्तासीन जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि मांझी पाला बदलते रहते हैं इसलिए उनके बारे में टिप्पणी करने की आवश्यक्ता नहीं पर सीएए-एनआरसी के विरोध में रैली का कोई औचित्य नहीं बनता जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि एनआरसी बिहार में लागू नहीं किया जाएगा । भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि ओवैसी की विभाजनकारी राजनीति पूरी तरह से मुसलमानों के उकसावे पर आधारित है जो बिहार में सफल नहीं होगी।
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