नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों और उसके कारण हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए विपक्ष नागरिकता कानून के खिलाफ अपनी एकजुटता को प्रदर्शित करना चाहता है। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती इस बैठक में शामिल नहीं होंगी। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने भी इस बैठक से दूरी बना ली है।
माया और ममता रहेंगी दूर
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, कांग्रेस के साथ अपने मतभेद के चलते बीएसपी इस मीटिंग से दूर रहना ही ठीक समझ रही है। आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों में विभिन्न कारणों से दोनों पार्टियों के रिश्तों में खटास आई है। हाल ही में राजस्थान मंे बच्चों की मौत को लेकर मायावती ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर निशाना साधा था। वहीं, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही इस बैठक में आने से स्पष्ट इंकार कर चुकी हैं। CAA के खिलाफ जब विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास गए थे, उस वक्त भी BSP उनके साथ नहीं थी। हालांकि पार्टी ने बाद में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की थी।
ममता ने मीटिंग से क्यों बनाई दूरी?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि उनके सूबे में कांग्रेस और लेप्ट पार्टियां गंदी राजनीति कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि वह संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध अकेले दम पर करेंगी। पश्चिम बंगाल की विधानसभा में ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि वह विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और नागरिकता कानून के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में नहीं शामिल होंगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्ष आंदोलन को लेकर आगे की रूपरेखा तय कर सकता है। (भाषा से इनपुट्स के साथ)
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