मुंबई: शिवसेना ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा ने गोवा में बहुमत नहीं होने के बावजूद सरकार बनाकर लोकतंत्र का अपमान किया था और राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात के लिए वही जिम्मेदार है। शिवसेना ने आरोप लगाया कि भाजपा के सत्तारूढ़ सहयोगी दल- महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं और इन पार्टियों के नेता राज्य में शीर्ष पद चाह रहे हैं।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में लिखा, ‘‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की सेहत बिगड़ गयी है। हम उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। पर्रिकर गोवा में लोकप्रिय नेता हैं और उनकी सेहत की खबर ने राज्य की जनता के बीच बेचैनी पैदा कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी कैबिनेट के कुछ सहयोगी भी स्वस्थ नहीं हैं। ऐसा लगता है कि गोवा का पूरा मंत्रिमंडल आईसीयू में है। गोवा नेताविहीन राज्य बन गया है और प्रशासन काम नहीं कर पा रहा। इस सबकी वजह से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गयी है जो राज्य के लिए सही नहीं है।’’
शिवसेना ने कहा कि आज सवाल पूछा जा रहा है कि गोवा भाजपा में पर्रिकर के बाद कौन? पर्रिकर सम्मान के साथ पद छोड़ सकते थे लेकिन भाजपा के पास फिलहाल गोवा में कोई साफ-सुथरी छवि वाला नेता नहीं है। पार्टी ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला था। 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 14 सीटें जीती थीं। कांग्रेस और राकांपा ने मिलकर 17 सीटें जीती थीं लेकिन उनकी तरफ से सरकार बनाने में देरी की वजह से भाजपा को खरीद-फरोख्त के लिए समय मिल गया। भाजपा ने एमजीपी और जीएफपी का समर्थन लिया और सरकार बनाई। शिवसेना ने कहा कि भाजपा की सबसे बड़ी भूल पर्रिकर को गोवा वापस भेजना था जब वह रक्षा मंत्री थे।
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