नयी दिल्ली: कर्नाटक के इतिहास में केवल तीन मुख्यमंत्री ही पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा कर पाये। चौदह माह तक सत्ता में रहने के बाद एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव हार बैठी। एन निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धरमैया (2013-2018) ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। तीनों कांग्रेस के नेता हैं। भाजपा से कोई भी मुख्यमंत्री या जदएस के कुमारस्वामी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये।
पहली बार भाजपा नीत गठबंधन सरकार में कुमारस्वामी दो साल से भी कम समय तक फरवरी, 2006 से अक्टूबर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे। उनका सत्ता साझेदारी को लेकर भाजपा से मतभेद हो गया और उन्होंने राज्य में भगवा पार्टी नीत सरकार का समर्थन करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल मई, 2018 में शुरू हुआ। चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आयी थी, तब यह गठबंधन सरकार बनी।
भाजपा के मामले में बी एस येदियुरप्पा 2007 में पहली बार मुख्यमंत्री बने लेकिन वह सात दिन तक ही पद पर रहे क्योंकि जदएस ने समर्थन वापस ले लिया था और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। मई, 2008 में येदियुरप्पा की अगुवाई में भाजपा ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने लेकिन कथित भ्रष्टाचार के चलते उन्हें जुलाई, 2011 में कुर्सी छोड़नी पड़ी। मुख्यमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 2018 में महज छह दिन 17 मई, से लेकर 23 मई रहा और उन्होंने बहुमत के अभाव में इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक 1956 में बना था। तब से राज्य ने 25 मुख्यमंत्री देखे जिनमें ज्यादातर कांग्रेस से थे।
Latest India News