देहरादून: वर्ष 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के पतन का कारण बने 'बागियों' के पार्टी में लौटने से पहले अपने पापों के लिए माफी मांगने संबंधी कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के बयान के बाद भाजपा और कांग्रेस में वाकयुद्ध छिड़ गया है। पुष्कर सिंह धामी सरकार में परिवहन मंत्री रहे और प्रभावशाली दलित नेता यशपाल आर्य की कांग्रेस में घर वापसी के बाद रावत ने कई अन्य भाजपा विधायकों के कांग्रेस में लौटने के प्रयासों पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि 2016 में कांग्रेस सरकार गिराने वाले बागी विधायकों को पहले अपने पाप की माफी मांगनी होगी।
इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बगावत करने वाले 10 कांग्रेस विधायकों में शामिल रहे प्रदेश के वर्तमान वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि माफी तो हरीश रावत को देवभूमि की जनता से मांगनी चाहिए जिन्होंने उसे डेनिस नाम की जहरीली शराब पिलाई। प्रदेश के एक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डेय ने भी हरीश रावत पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि ‘‘सूप बोले तो बोले, छलनी को नहीं बोलना चाहिए।’’
वर्ष 2016 के एक स्टिंग ऑपरेशन का हवाला देते हुए पाण्डेय ने कहा कि रावत ने कहा था कि वह अपनी आंखे मूंद लेंगे, जिसे जो लूटना है, लूट ले। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा आदमी क्या किसी को पाप और पुण्य पर बोलेगा।’’ वर्ष 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की अगुवाई में कांग्रेस के 10 विधायकों ने तत्कालीन हरीश रावत सरकार से बगावत कर दी थी जिसके कारण सरकार अल्पमत मे आ गयी थी। हालांकि, इन विधायकों में यशपाल आर्य शामिल नहीं थे और उन्होंने जनवरी 2017 में ऐन विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोडकर भाजपा का दामन थामा था।
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