नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की हाल ही में हुई सुखोई विमान दुर्घटना के बाद सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को खड़ा करने की कोई योजना नहीं है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह जानकारी दी है। पिछले छह सालों में इस श्रेणी के छह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं।
एसयू-30 के बेड़े को अतीत में दुर्घटनाओं के बाद तीन बार खड़ा किया जा चुका है, लेकिन गुरुवार को असम में लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इस बार ऐसा नहीं होगा।
पर्रिकर ने आईएएनएस से कहा, "हम सुखोई के बेड़े को खड़ा नहीं कर रहे हैं। हम प्रत्येक दुर्घटना के बाद इसे खड़ा नहीं कर सकते।"
रक्षा मंत्रालय ने सुखोई विमानों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए अगले सप्ताह एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है।
उन्होंने कहा, "अगले सप्ताह हमारी बैठक होगी और हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।"
इस बैठक में आईएएफ प्रमुख, प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा अपने कुछ प्रमुख अधिकारियों के साथ इस बैठक में शामिल होंगे।
आईएएफ ने 2002 में रूस द्वारा निर्मित सुखोई लड़ाकू विमान अपने बेड़े में शामिल किए थे और देश का पहला स्वदेशी सुखोई 30 एमकेआई 2004 में सेवा में शामिल हुआ था।
पहला एसयू-30 एमकेआई विमान अप्रैल 2009 में राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसके बाद पूरे बेड़े को लगभग तीन सप्ताह के लिए खड़ा कर दिया गया था। तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने इसके जवाब में बयान दिया था कि तार प्रणाली में गड़बड़ी की वजह से यह दुर्घटना हुई।
30 नवंबर, 2009 को राजस्थान में एक अन्य विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और सुखोई बेड़े को एक बार फिर खड़ा कर दिया गया।
इसके बाद सुखोई का अगला विमान दिसंबर 2011 में पुणे के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इसके बाद फरवरी 2013 में पोखरण में सुखोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
हालांकि, दुर्घटना के जांच के आदेश दे दिए गए, लेकिन इनका कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
इसके बारे में पूछने पर पर्रिकर ने कहा, "प्रत्येक जांच का निष्कर्ष नहीं निकलता। यह जांच अधूरी रह गई।"
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2011 से 2014 के दौरान सुखोई लड़ाकू विमानों की देखरेख के लिए लगभग 2,264 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
वर्तमान में भारत के पास 200 एसयू-30एमकेआई के 10 स्क्वोड्रन हैं और अगले कुछ वर्षो में कम से कम 70 और स्क्वोड्रन शामिल किए जाएंगे।
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