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भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में झलका पीढ़ीगत बदलाव

बेंगलुरू: कर्नाटक की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के साथ शनिवार समाप्त हो गई। पार्टी ने देशभर में अपने विस्तारवादी रणनीति की चर्चा

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बेंगलुरू: कर्नाटक की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के साथ शनिवार समाप्त हो गई। पार्टी ने देशभर में अपने विस्तारवादी रणनीति की चर्चा की, वहीं पार्टी के 'मार्गदर्शक' लालकृष्ण आडवाणी की चुप्पी से भाजपा में पीढ़ीगत बदलाव और 'एक युग का अंत' साफ नजर आया। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक आडवाणी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान चुप्पी साधे रखी। पार्टी की स्थापना के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब वरिष्ठतम नेता ने बैठक को संबोधित नहीं किया। इससे पहले जून 2013 में यह बैठक गोवा में हुई थी, जिसमें वह शामिल ही नहीं हुए थे।

 

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा शुरू किए गए सदस्यता अभियान की बैठक में खूब वाहवाही हुई। 31 अप्रैल तक पार्टी सदस्यों की संख्या 10 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई।

भाजपा नेताओं ने उम्मीद जताई है कि इस अभियान से पार्टी में युवाओं की तादाद बढ़ेगी और पार्टी की गतिविधियों में इजाफा होगा।

अपने 10 महीनों के कार्यकाल के दौरान सरकार के प्रदर्शन से पार्टी बेहद उत्साहित दिखी। उत्साहित अमित शाह ने कहा कि भाजपा अगले 10-20 वर्षो तक सत्ता में बनी रहेगी। हालांकि पूरी बैठक में विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक का मुद्दा छाया रहा, जिसके समाधान के लिए भाजपा गांव-गांव तक पहुंचने को तैयार दिखी।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चूंकि यह विधेयक संशोधनों के साथ लोकसभा से पारित हो चुका है, इसलिए सरकार इसे राज्यसभा से भी पारित कराने का प्रयास करेगी। अगर विपक्ष चर्चा के लिए सहमत है, तो वह सुझाव सुनने के लिए तैयार है।

बैठक के अंतिम दिन शनिवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक का मुद्दा छाया रहा, और इसके मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई।

भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जहां तक भूमि विधेयक का संबंध है, हम इसके खिलाफ दुष्प्रचार के अभियान से चिंतित हैं। यह सच के विपरीत है।

भाजपा की यहां जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक से अलग उन्होंने कहा, "हम पिछले कानून में किए गए संशोधनों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे रेडियो पर सीधे तौर पर लोगों को समझाने को लेकर आश्वस्त हैं। हम इस पर किसी के साथ भी चर्चा के लिए तैयार हैं।"

मंत्री ने कहा कि विधेयक पर विस्तृत पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया गया, जिसके माध्यम से कानून व सरकार द्वारा लाए गए संशोधन को विस्तार से समझाया गया।

उन्होंने कहा, "सदस्यों को समझाया गया है। अब वे इस संदेश का आगे प्रचार-प्रसार करेंगे।"

निर्मला ने कहा कि भाजपा लोगों के पास जाएगी और उनसे पूछेगी कि क्या उनके द्वारा किया गया संशोधन किसान विरोधी है? उन्होंने कहा, "यह एक दुष्प्रचार अभियान है, जिसे फैलाने का प्रयास खासकर कांग्रेस कर रही है।"

जेटली ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के शासनकाल के दौरान पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक 'किसान विरोधी' था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नए विधेयक के लाभ को समझाने के लिए लोगों के बीच एक अभियान चलाएगी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा लाया गया नया विधेयक ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में मददगार होगा और प्रस्तावित औद्योगिक गलियारे से भूमिहीनों व दलितों सहित सबको रोजगार मिलेगा।

आडवाणी की चुप्पी पर जेटली ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पार्टी के एक नेता ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि खुद आडवाणी ने कुछ न बोलने का फैसला किया था।

सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन के मुद्दे पर भी बैठक में विस्तार से चर्चा हुई।

जेटली ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में गठबंधन सरकार का हिस्सा बने रहने के सरकार के फैसले का पार्टी ने समर्थन किया।

केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद पहली बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई है।

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