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बिहार: नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार, विभागों का हुआ बंटवारा, BJP के किसी विधायक को नहीं मिली जगह

बिहार राज्य सरकार ने कैबिनेट का विस्तार किया लेकिन एक भी बीजेपी का विधायक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ। ऐसे में सवाल है कि क्यों?

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पटना: बिहार राज्य सरकार ने कैबिनेट का विस्तार किया लेकिन एक भी बीजेपी का विधायक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ। ऐसे में सवाल है कि क्यों? नीतीश कुमार के मुताबिक ये सब पहले से तय था। लेकिन, कहा जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में जेडीयू को जगह नहीं मिली इसलिए नीतीश कुमार की कैबिनेट में बीजेपी वालों को जगह नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में सवाल है कि क्या बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले फिर से दोनों दलों की दोस्ती में दरार आने वाली है?

राजनीति ने बिहार में BJP और JD(U) को मिला तो दिया है लेकिन दोनों दलों के दिल नहीं मिल रहे हैं। केंद्रीय कैबिनेट का गठन हुआ तो जेडीयू के किसी सांसद को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। ऐसी स्थितियों के बीच बिहार सरकार के कैबिनेट विस्तार में JD(U) के आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली और BJP के किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया।

मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधयाक और उनका विभाग
  1. अशोक चौधरी, भवन निर्माण विभाग मिला (बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं, महागठबंधन की सरकार में शिक्षा मंत्री थे, बाद में जेडीयू में शामिल हो गए, अभी जेडीयू के विधान पार्षद हैं।)
  2. नीरज कुमार, सूचना एवं जन संपर्क विभाग मिला (टीवी पर दिखने वाले जेडीयू के प्रवक्ता है, जेडीयू के विधान पार्षद हैं)
  3. लक्ष्मेश्वर राय (जेडीयू के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं, मधुबनी के लौकहा से जेडीयू के विधायक)
  4. श्याम रजक, उद्धोग विभाग मिला (नीतीश सरकार में पहले मंत्री रह चुके हैं, 2015 में मंत्री भी रह चुके हैं)
  5. बीमा भारती, गन्ना विभाग मिला (नीतीश के पहले कार्यकाल में मंत्री थी, पूर्णिया के रुपौली से जेडीयू की विधायक हैं)
  6. संजय झा, जलसंसाधन विभाग मिला (नीतीश के करीबी हैं, पहले बीजेपी में रह चुके हैं, 3 दिन पहले ही नीतीश ने एमएलसी बनाया)
  7. नरेंद्र नारायण यादव (मधेपुरा के आलमनगर सीट से विधायक, 8 बार विधायक रह चुके हों)
  8. राम सेवक सिंह (हथुआ से विधायक हैं)

लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार सरकार के मंत्री लल्लन सिंह और दिनेश यादव के सांसद बन जाने की वजह से दो मंत्रियों के पद भी खाली हो गए हैं। इस मंत्रिमंडल विस्तार से नीतीश कुमार बिहार के जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश रही है। लेकिन, जो सबसे बड़ा सवाल है इस कैबिनेट में बीजेपी क्यों नहीं?

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