नई दिल्ली: निर्मला सीतारमण ने आज पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री के तौर पर रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने कहा कि सैन्य तैयारियां, सैन्य उपकरणों के उत्पादन का स्वदेशीकरण, बहुत समय से लंबित मुद्दों का हल और सैनिकों का कल्याण उनके प्राथमिकता क्षेत्रों में शामिल हैं।
निर्मला ने अपने पूर्ववर्ती अरुण जेटली की मौजूदगी में कार्यभाल संभाला। इससे पहले 1970 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास यह मंत्रालय था। मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे के बाद मार्च में जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। पर्रिकर ने गोवा का मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दिया था।
उनके कार्यभार संभालने के पहले एक पुजारी ने रक्षा मंत्री के कक्ष में पूजा अर्चना की। निर्मला ने कार्यभार संभालने के बाद वहां मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों से संक्षिप्त बातचीत की। इस अवसर पर निर्मला के अभिभावक भी वहां मौजूद थे। निर्मला ने संवाददाताओं से कहा, मेरी प्राथमिकता निश्चित तौर पर सशस्त्र बल रहेंगे। यह महत्वपूर्ण है कि भारतीय सशस्त्र बलों को आवश्यक बंदोबस्त और उपकरण मुहैया कराने के मामले में पूरा ध्यान दिया जाए।
सशस्त्र बल चीन द्वारा सीमाओं पर आक्रामक रवैया अपनाने और पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे निर्बाध छद्म युद्ध के मद्देनजर अपनी समग्र क्षमताएं बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बातचीत कर बहुत समय से लंबित मामलों का समाधान निकालना तथा मेक इन इंडिया पहल के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि समग्र रक्षा क्षमताओं में मेक इन इंडिया को बड़ी भूमिका निभाने की आवश्यकता है क्योंकि यह सरकार के लिए बहुत जरूरी है। सशस्त्र बलों के कर्मियों के बारे में निर्मला ने कहा कि सैनिक कठिनतम सीमाओं पर अपना कर्तव्य निभाते हैं। उनके एवं उनके परिवारों का कल्याण सुनिश्चत करना उनका प्रयास रहेगा। उन्हें इस बात को लेकर आश्वस्त रहना चाहिए कि उनके हित सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि सैनिकों को सर्वोत्तम उपकरण मुहैया कराना भी उनकी एक प्राथमिकता रहेगी।
रक्षा मंत्री के तौर पर निर्मला रक्षा पर महत्वपूर्ण कैबिनेट समिति की सदस्य होंगी। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री भी इस समिति के सदस्य हैं।
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