शिवसेना प्रभाव: राजग सहयोगियों ने बेहतर समन्वय पर जोर दिया, संयोजक की मांग की
पासवान ने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से आज बैठक में शिवसेना की कमी महसूस हुई क्योंकि यह पार्टी राजग के सबसे पुराने सदस्यों में से एक थी। यह चिंता की बात है कि पहले तेलुगू देशम पार्टी ने गठबंधन छोड़ा और इसके बाद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने ऐसा किया।’’
नई दिल्ली। संसद सत्र से पहले रविवार को हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बैठक में भाजपा और शिवसेना के अलग होने का असर दिखा। बैठक में जहां राजग के सहयोगी दलों ने समन्वय बढ़ाने की वकालत की, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्तारूढ़ गठबंधन को ‘‘एक बड़ा परिवार’’ बताया। शिवसेना ने बैठक में भाग नहीं लिया।
बैठक में मोदी ने कहा कि राजग के सहयोगी दलों की विभिन्न विचारधाराएं हो सकती हैं लेकिन वे एक ‘बड़े परिवार’ की तरह हैं और छोटे छोटे मतभेदों से परेशान नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘राजग की बहुत अच्छी बैठक हुई। हमारा गठबंधन भारत की विविधता और 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। हम सब मिलकर अपने किसानों, नौजवानों, नारी शक्ति और गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’’
बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी भाग लिया। बैठक में सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान सुचारू ढंग से कार्यवाही सुनिश्चित करने और समन्वय का आह्वान किया गया। लोजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष चिराग पासवान समेत राजग के विभिन्न सहयोगियों ने मतभेदों को दूर करने के लिए एक संयोजक या समन्वय समिति के गठन की इच्छा जताई।
पासवान ने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से आज बैठक में शिवसेना की कमी महसूस हुई क्योंकि यह पार्टी राजग के सबसे पुराने सदस्यों में से एक थी। यह चिंता की बात है कि पहले तेलुगू देशम पार्टी ने गठबंधन छोड़ा और इसके बाद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने ऐसा किया।’’
उन्होंने कहा कि यदि राजग सहयोगियों के बीच बेहतर समन्वय होता तो महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच जो कुछ भी हुआ, उसे टाला जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सभी (सहयोगी) आगामी सत्र में एक साथ मिलकर काम करेंगे और इस तरह की और बैठकें होनी चाहिए।’’
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पासवान ने कहा, ‘‘ गठबंधन के घटक दलों के बीच बेहतर समन्वय के लिए राजग संयोजक की नियुक्ति या एक समन्वय समिति बनाई जानी चाहिए।’’
सूत्रों के अनुसार अपना दल, जद (यू) और पूर्वोत्तर राज्यों से कुछ सहयोगियों ने भी इसी तरह के सुझाव दिये। महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में दोनों सहयोगी दलों के आसानी से बहुमत का आंकड़ा पाने के बाद मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना और भाजपा के बीच खींचतान चलती रही।
मोदी सरकार में शिवसेना के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवम्बर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच, राजग की बैठक से पहले भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने सत्र के दौरान दोनों सदनों में भाजपा सांसदों की अधिक उपस्थिति सुनिश्चित करने पर जोर दिया। इसके बाद मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने भाजपा के संसदीय दल के साथ एक व्यापक बैठक की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी आगामी संसदीय सत्र का उपयोग विभिन्न विकासात्मक मुद्दों पर हमारे विचारों को आगे बढ़ाने और लोगों के जीवन को बदलने में सहयोग करने के लिए करेगी।’’