आलाकमान ने नहीं स्वीकारा सिद्धू का त्यागपत्र, इस्तीफों की झड़ी के बीच आज होगी पंजाब कैबिनेट की बैठक
बता दें कि 73 दिन पहले पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने चार लाइन का इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा दिया। सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में सिद्धू ने कहा है कि वो पंजाब के भविष्य के साथ समझौता नहीं कर सकते इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं।
नई दिल्ली: पंजाब में जबरदस्त सियासी ड्रामा हुआ। कैप्टन अमरिन्दर सिंह चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए निकले लेकिन कैप्टन दिल्ली पहुंचते इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा दिल्ली पहुंच गया। वहीं, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। शीर्ष नेतृत्व ने राज्य नेतृत्व से पहले अपने स्तर पर मामले को सुलझाने को कहा है। इस बीच पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर कैप्टन समर्थक खेमा ऐक्टिव हो गया है। कैप्टन के समर्थक विधायकों ने उनसे आलाकमान पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाने का दबाव बनाने की मांग की है।
कैप्टन एक बार फिर सिद्धू पर हमलावर
सिद्धू के त्यागपत्र के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर से सिद्धू पर हमलावर हो गए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को लेकर कहा, "ऐसा होने को लेकर मैंने पहले ही कह दिया था।" कैप्टन ने सिद्धू को अस्थिर व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लिए अनफिट हैं। कैप्टन ने ट्वीट किया, "मैंने आपको पहले ही बताया था.... वह (सिद्धू) एक स्थिर व्यक्ति नहीं है और न ही वह पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लिए फिट है।"
सिद्धू के इस्तीफे के बाद इन्होंने भी दे दिया त्यागपत्र
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा दे दिया। सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद से गुजराल इंदर चहल, पंजाब कैबिनेट की मंत्री रजिया सुल्ताना, पंजाब सरकार के शिक्षा मंत्री परगट सिंह, कांग्रेस के महासचिव पद से योगिंदर ढींगरा और पंजाब कांग्रेस के महासचिव (प्रभारी प्रशिक्षण) के पद से गौतम सेठ ने इस्तीफ़ा दे दिया है। इस उठा-पटक के बीच बुधवार सुबह 10.30 बजे पंजाब कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है।
'पंजाब के भविष्य के साथ समझौता नहीं कर सकते'
बता दें कि 73 दिन पहले पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने चार लाइन का इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा दिया। सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में सिद्धू ने कहा है कि वो पंजाब के भविष्य के साथ समझौता नहीं कर सकते इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। हालांकि सिद्धू ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा है कि वो कांग्रेस के लिए काम करते रहेंगे।
सिद्धू की उम्मीद के मुताबिक चन्नी उनकी लाइन पर नहीं चल रहे
सिद्धू ने इस्तीफे में ये नहीं लिखा है कि वो किस बात से नाराज हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि ये सही है कि राहुल गांधी ने सिद्धू की जिद के कारण कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हटाने का फैसला किया। ये भी सही है कि सिद्धू के कहने पर ही चरणजीत सिंह चन्नी को चीफ मिनिस्टर बनाया लेकिन मुश्किल ये है कि चन्नी सिद्धू की उम्मीद के मुताबिक उनकी लाइन पर नहीं चल रहे हैं।
सिद्धू की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह उनकी राय न लिया जाना
पता ये लगा कि सिद्धू की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह चन्नी मंत्रिमंडल के गठन और मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे में सिद्धू की राय न लिया जाना है। सिद्धू डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को होम मिनिस्ट्री दिए जाने के खिलाफ थे लेकिन रंधावा को पंजाब का होम मिनिस्टर बनाया गया। सिद्धू, राणा गुरजीत सिंह को मिनिस्टर बनाने के खिलाफ थे लेकिन उन्हें चन्नी ने अपनी मंत्रिमंडल में शामिल किया। सिद्धू चाहते थे कि पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा को मंत्री बनाया जाए लेकिन नागरा को चन्नी ने अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी।
सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ
इसके बाद भी सिद्धू खामोश थे लेकिन जब चन्नी ने पुलिस डिपार्टमेंट में फेरबदल किया, ब्यूरोक्रेसी में अपने पंसद की अफसरों की तैनाती की तो भी सिद्धू से नहीं पूछा। इसके बाद चन्नी ने एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल बनाने का फैसला कर दिया। इससे सिद्धू का सब्र जबाव दे गया। उन्होंने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेज दिया लेकिन सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। इस मामले पर न सोनिया गांधी की तरफ से कोई रिएक्शन आया और न ही राहुल गांधी इस मुद्दे पर कुछ बोले।
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