श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से पार्टी पद का नाम हटा दिया है जिसके बाद पार्टी में दरार के संकेत मिल रहे हैं। पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने एवं इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र के निर्णय के बाद प्रदेश की स्थिति पर नेशनल कांफ्रेंस ने चुप्पी साध ली थी।
जम्मू कश्मीर के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं बडगाम के प्रभावशाली शिया नेता मेहदी ने मंगलवार को अपने ट्विटर हैंडल से नेकां पार्टी पद-मुख्य प्रवक्ता- हटा दिया है। बडगाम विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक रह चुके मेहदी पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की 2019 लोकसभा चुनाव में एवं उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की 2014 विधानसभा चुनाव में हुई जीत में मददगार रह चुके हैं। मेहदी ने एक स्थानीय अखबार में जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर लेख लिखने के बाद अपने ट्विटर हैंडल से पार्टी पद का नाम हटाया है।
लेख में उन्होंने पार्टी नेता तनवीर सादिक की, एक स्थानीय दैनिक में उनके लेख को लेकर आलोचना की थी। लेख पर टिप्पणी करते हुये, मेहदी ने एक के बाद एक किए गए लगातार ट्वीट में कहा कि मुख्यधारा के नेताओं का एकमात्र लक्ष्य केंद्रशासित प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया के तहत चुनाव कराना ही नहीं होना चाहिए क्योंकि नेताओं की गिरफ्तारी भी इसकी प्रक्रिया का हिस्सा थी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मेरे सहित हमारे कई साथियों को लोक सुरक्षा कानून के तहत घर में हिरासत में रखा गया है। मैं उन सबकी जल्दी रिहाई की कामना करता हूं। लेकिन, मेरा मानना है कि उनकी और हमारी (घर) नजरबंदी एक राजनीतिक संदेश है और प्रक्रिया ही है।' उन्होंने कहा कि कश्मीर के राजनीतिक नेताओं को विभिन्न चीजों के लिए सरकार से अनुमति नहीं मांगनी चाहिए क्योंकि, इसका मतलब सिर्फ वही करना होगा जो सरकार उनसे करवाना चाहती है।
मेहदी ने कहा कि सरकार अपना काम कर रही है लेकिन स्थानीय नेताओं के हाथ बंधे हुए नहीं है। दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके सादिक ने महबूबा मुफ्ती, अली मोहम्मद सागर एवं शाह फैसल समेत सभी नेताओं की रिहाई की मांग की है।
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