नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पूरे भारत में 'जनता कर्फ्यू' की घोषणा करने से एक दिन पहले 21 मार्च को तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1,746 लोग थे जिनमें 261 विदेशी नागरिक शामिल थे जिसके बाद हजारों लोगों पर कोरोना वायरस का संकट मंडराने लगा है। इस मामले का असर सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है और लोग लगातार इस कार्यक्रम को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला भी इस बहस में कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस फैलाने का दोष मुस्लिमों पर नहीं मढ़ा जाना चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद कुछ लोग ऐसा कहेंगे, जैसे मुस्लिमों ने ही कोरोना को पैदा किया और पूरी दुनिया में फैला दिया।
इस मामले पर उमर अब्दुल्ला ने सिलसेलवार कई ट्वीट्स किए और लिखा, "अब कुछ लोगों के लिए तबलीगी जमात सबसे आसान बहाना बन जाएगा कि वे हर जगह मौजूद मुस्लिमों को गाली दे सकें, जैसे मुस्लिमों ने ही कोरोना पैदा किया हो और पूरी दुनिया में फैला दिया हो। देश के ज्यादातर मुसलमानों ने सरकारी नियमों और सलाहों का ठीक उसी तरह पालन किया है, जैसे कि किसी और ने किया।"
बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मरकज में देश-विदेश से आए 1800 से भी ज्यादा लोग ठहरे हुए थे। इसमें हिस्सा लेने वाले कई लोग अपने-अपने राज्यों की तरफ लौट गए थे, जिसके चलते वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
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