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ओम बिरला ने कहा, हम सांसदों के साथ हेडमास्टर की तरह व्यवहार नहीं करना चाहते

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राजनीतिक दलों को को इस बात पर विचार करना चाहिए कि संसद में किस तरह से व्यवधान और हंगामे को रोका जा सकता है।

Om Birla, Om Birla dignity of Parliament, Om Birla MPs, Om Birla MPs headmasters- India TV Hindi Image Source : PTI लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सांसदों को अपने विचार रखते समय संसद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।

श्रीनगर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सांसदों को अपने विचार रखते समय संसद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और सदनों के पीठासीन अधिकारी नहीं चाहते हैं कि वे हेडमास्टर की तरह व्यवहार करें और सदस्यों को उनके कदाचार के लिए दंडित करें। बिरला ने हाल ही में संपन्न मॉनसून सत्र के दौरान नियमित रूप से हुए व्यवधानों पर चिंता जताई और कहा कि सभी दलों को एक साथ बैठना चाहिए और एक आचार संहिता तैयार करनी चाहिए ताकि सांसदों को आसन के समीप आने और तख्तियां दिखाने से रोका जा सके।

बिरला ने कहा, ‘संसद से उम्मीद की जाती है कि वह देश के सभी लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करे। व्यवधान और अशोभनीय दृश्य लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं। हम (सांसदों) सब को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद की गरिमा न सिर्फ बरकरार रहे बल्कि आगे भी बढ़े।’ संसद की गरिमा और मर्यादा को पवित्र बताते हुए लोकसभाध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘हम आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं और यह उचित समय है जब राजनीतिक दल एक साथ बैठें और सांसदों के लिए संसद में उनके शोभनीय व्यवहार के लिए मानक निर्धारित करें।’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक दलों को को इस बात पर विचार करना चाहिए कि संसद में किस तरह से व्यवधान और हंगामे को रोका जा सकता है। उन सभी को ऐसे मानक स्थापित करने चाहिए जो उनके सांसदों को आसन के समीप आने और तख्तियां दिखाने से रोकते हों। यह पूछे जाने पर कि क्या नियमों को बदलाव करने की आवश्यकता है, बिरला ने कहा कि मौजूदा नियम पर्याप्त रूप से सख्त हैं और जब स्थिति अनियंत्रित हो जाती है तो पीठासीन अधिकारी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बिरला ने कहा, ‘संसद की गरिमा बनाए रखना सांसदों पर है। उन्हें संसद की गरिमा को बनाए रखने के लिए शोभनीय तरीके से आचरण करना चाहिए। हम हेडमास्टर की तरह काम नहीं करना चाहते और सांसदों को उनके अशोभनीय आचरण के लिए दंडित नहीं करना चाहते हैं।’ असहमति को लोकतंत्र का हिस्सा बताते हुए बिरला ने कहा कि किसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान संसद सदस्यों को शालीनता बनाए रखनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और सत्र के दौरान पेगसस जासूसी विवाद, नए कृषि कानून और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया। सत्र अपने निर्धारित समय 13 अगस्त से दो दिन पहले ही समाप्त हो गया था।

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