नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुस्लिम कम्यूनिटी के 30 सदस्यों वाले डेलिगेशन से मुलाकात के दौरान कहा कि उनका मूल्यांकन उनके काम से किया जाए, न कि विपक्ष की बातों से। इस मीटिंग में अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक मोदी ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार 125 करोड़ भारतीयों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के वादे को पूरा करेगी और उन्हें सुरक्षा भी देगी। पीएम ने कहा कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति देश को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का हल रोजगार और विकास है और वह इसी दिशा में काम कर रहे हैं।
पीएम ने कहा, 'न तो मैं लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने वाली रानजीति में यकीन करता हूं और न ही कभी मैं सांप्रदायिक भाषा बोलूंगा।' यह बताए जाने पर कि मुस्लिमों को कई सारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा, पीएम ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार समुदाय की समस्याओं से अवगत है और लोगों के सशक्तीकरण के लिए कोशिश करेगी।
पीएमओ की तरफ से जारी स्टेटमेंट के मुताबिक डेलिगेशन के मेंबर्स ने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने वोट बैंक की राजनीति को ठुकरा दिया है और अब सबकी रुचि विकास में है। इसमें कहा गया है कि नेताओं ने सरकार के अब तक के कामकाज पर संतोष जताया।
इस डेलिगेशन में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अहमद के बेटे और जाने-माने हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर परवेज अहमद, डॉक्टर असलम परवेज अहमद (जाकिर हुसैन कॉलेज के प्रिंसिपल), प्रफेसर अब्दुल हलीम खान (गर्ल्स कॉलेज इंदौर के चेयरमैन), प्रफेसर काजी ओबैद-उर-रहमान (जामिया मिलिया इस्लामिया), मौलाना कल्बे रुशैद, (शिया आलिम--दीन) और मौलान जाकिर हुसैन, (तलबीग-ए-जमात) शामिल थे।
पीएम ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए स्किल डिवेलपमेंट और उनके द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर किए कामों पर भी चर्चा की। नेताओं ने मुस्लिम युवाओं को लेकर उनके विज़न पर पीएम को बधाई दी। उन्होंने यूएन में इंटरनैशनल योगा डे को स्वीकार करवाने के लिए भी पीएम को बधाई दी।
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