नयी दिल्ली: तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लड़ाई लड़ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो मोदी सरकार भी वही गलती करेगी जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शाह बानो मामले में की थी। कांग्रेस का नाम लिए बिना खान ने कहा कि जो पार्टी 1984 में 400 से ज्यादा सीटों पर जीती थी वह ‘बेसहारा के श्राप’ को भुगत रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ शाह बानो को क्या दिया गया था? अपने शरीर और आत्मा को साथ में रखने के लिए 147 रुपये। उस बेसहारा का श्राप उनके पीछे पड़ा है।’’ खान ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल अक्टूबर में छह पन्ने का पत्र तीन तलाक के चलन को अपराध ठहराने के आग्रह के साथ लिखा था। वह यहां ‘ तीन तलाक को क्यों दंडनीय अपराध बनाया जाए’ विषयक व्याख्यान दे रहे थे।
खान 1986 में राजीव गांधी की सरकार में राज्य मंत्री थे लेकिन उन्होंने शाह बानो मामले में सरकार के रुख के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था। शाह बानो इंदौर की एक मुस्लिम महिला थी जिसे उसके पति ने 1978 में तलाक दे दिया था। इसके बाद उसने अदालत में इसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया और अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का मामला भी जीत गई। निचली अदालत के फैसले को उसके पति ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा।
हालांकि इसके बाद तत्कालीन राजीव गांधी सरकार मुस्लिम महिला(तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक लेकर आई और कानून बनाकर अदालत का फैसला पलट दिया।
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