नयी दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की ओर से घोषित बहिष्कार के बावजूद केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। केंद्र सरकार का मानना है कि जमीनी स्तर के लोकतंत्र को किसी भी अन्य मुद्दे पर वरीयता मिलनी चाहिए। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार का यह भी मानना है कि जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण और शहरी इलाकों के विकास के लिए करीब 4,300 करोड़ रुपए जारी करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक पंचायत एवं शहरी स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं होंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार का मानना है कि पंचायत एवं शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव जरूर कराए जाने चाहिए क्योंकि जमीनी स्तर के लोकतंत्र को मजबूत करना अहम है, क्योंकि यह बिजली, सड़क और पानी जैसे विकास के स्थानीय मुद्दों का ख्याल रखता है।’’
जम्मू-कश्मीर की दो राजनीतिक पार्टियों - नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी - ने चुनावों के बहिष्कार का फैसला किया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने अब तक संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर अपना रुख साफ नहीं किया है। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार देता है।
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