मदुरै: द्रमुक के निष्कासित नेता एम के अलागिरी ने आज दावा किया कि चेन्नई में पांच सितम्बर को होने वाली उनकी रैली के बाद पार्टी को एक ‘खतरे’ का सामना करना पड़ेगा। सभी निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अपने साथ होने का दावा करने के कुछ दिनों बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वह किसी भी पद के लिए कभी भी लालायित नहीं रहे। द्रमुक के वरिष्ठ नेता एम करूणानिधि का गत सात अगस्त को निधन हो गया था। पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर एम के स्टालिन के साथ हुए विवाद के बाद करूणानिधि ने अलागिरी और उनके समर्थकों को 2014 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
उन्होंने पत्रकारों से कहा,‘‘आप कृपया पांच सितम्बर तक इंतजार करें। उस दिन हम थलैवर (नेता) के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के लिए एक मूक रैली का आयोजन कर रहे है....आपको पता चलेगा कि पार्टी के लोग मुझे स्वीकार करते हैं और वहां (पार्टी में) मुझे चाहते है।’’ उन्होंने कहा,‘‘रैली के बाद द्रमुक निश्चित रूप से ‘खतरे’ का सामना करेगी। यहां तक कि प्रतिद्वंद्वियों ने भी मेरे चुनाव कार्य और संगठनात्मक कौशल की सराहना की थी। द्रमुक नेताओं का एक वर्ग मुझे कम से कम अब समझ पायेगा।’’
अलागिरी ने आज मीडिया से रूबरू होते हुए कहा,‘‘जब थलैवर (नेता) करूणानिधि जीवित थे तब मैंने किसी भी पद के लिए इच्छा नहीं जताई थी। मुझे अब कोई पद क्यों लेना चाहिए। मेरी द्रमुक अध्यक्ष बनने की कोई इच्छा नहीं है...स्टालिन पार्टी अध्यक्ष बनने को लेकर बेसब्री दिखा रहे है।’’ इससे पूर्व उन्होंने रैली के लिए अपने समर्थकों के साथ एक बैठक की।
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