3 देवियों के तिलिस्म में नरेंद्र मोदी; बेटी, बहन जी और दीदी से कैसे बचेंगे प्रधानमंत्री?
करोंडो लोगों को प्रियंका गांधी में दादी इंदिरा का अक्स नजर आता है और शायद यही वजह है कि वो मोदी से टकराने का हौसला रखती हैं और इसीलिए वो उत्तर प्रदेश में मोदी के खिलाफ कांग्रेस की सबसे अहम योद्धा बनने को तैयार हैं।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश से लेकर बंगाल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मोर्चेबंदी हो रही है। यूपी में मायावती और प्रियंका गांधी हैं तो बंगाल में ममता बनर्जी। तीन देवियों की तिकड़ी ने 2019 की सियासी महाभारत को दिलचस्प बना दिया है। 2019 के चुनावी महासमर के 4 सबसे अहम किरदार हाथ में सियासी हथियार लेकर वार-पलटवार का खेल शुरु कर चुके हैं। यूपी से बंगाल तक मोदी को रण में घेरने के लिए ये तिकड़ी तैयार है और इसकी सबसे ताजा किरदार हैं कांग्रेस की महासचिव, गांधी परिवार की नई सियासी उम्मीद और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी।
वही प्रियंका की 2014 में पहली बार मोदी से तब टक्कर हुई, जब वो अपनी मां और भाई के इलाके में चुनाव की कमान संभाल रही थीं। मोदी के खिलाफ तब प्रियंका गांधी के तेवर पूरे हिंदुस्तान ने इस एक लाइन में देख लिया था। करोंडो लोगों को प्रियंका गांधी में दादी इंदिरा का अक्स नजर आता है और शायद यही वजह है कि वो मोदी से टकराने का हौसला रखती हैं और इसीलिए वो उत्तर प्रदेश में मोदी के खिलाफ कांग्रेस की सबसे अहम योद्धा बनने को तैयार हैं।
दरअसल 2019 की महाभारत का कुरुक्षेत्र उत्तर प्रदेश ही है और उसी यूपी की एक और सियासी शख्सियत मोदी के खिलाफ तिकड़ी की अहम किरदार है यानी मायावती। ये हकीकत है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरता है। 80 सीटों वाले यूपी में जिसका सिक्का चला वो ही देश का सिकंदर बनता है। इसका इतिहास गवाह है और मायावती उसी यूपी के बड़े वोटबैंक की दावेदार हैं तभी तो मोदी पर हमले का एक भी मौका नहीं छोड़तीं।
मायावती जानती हैं कि मोदी के अंदर वो जादुई करिश्मा है जो उनके पारंपरिक एससी वोट बैंक को अपने पाले में खींच सकते हैं इसलिए वो हर मौके पर मोदी को एंटी एसटी साबित करने की कोशिश करती हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में ओबीसी के बाद एससी वोट बैंक सबसे बड़ा है जिसका आंकड़ा 22 से 25 फीसदी के बीच बताया जाता है और मायावती उस वोटबैंक की थोक नुमाइंदगी का दम भरती हैं लेकिन मोदी भी माया की कमजोरियों पर करारा वार करने में माहिर हैं।
मोदी ने बीएसपी को 'बहन जी संपत्ति पार्टी' कहा जो इसके पीछे मकसद बहुत गहरा था। हालांकि मोदी ने उस वक्त मायावती का नाम नहीं लिया लेकिन जिस तरह से बीएसपी सुप्रीमों पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगते रहे हैं मोदी ने वही बात हजारों लोगों के सामने कही थी और अब तो मोदी से लड़ने के लिए माया ने धुर विरोधी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से भी गलबहियां कर ली हैं। ऐसे ये गठबंधन हमेशा मोदी के निशान पर रहेगा। माया और मोदी दोनों की कोशिश यूपी में एक दूसरे को धूल चटाने की है लेकिन यूपी के साथ साथ बंगाल में दीदी भी मोदी पर धारदार वार कर रही हैं।
मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट घोषित कर रहीं दीदी के बंगाल में मोदी का सबसे ज्यादा इंटरेस्ट है और ये बात ममता बनर्जी को बेचैन कर रही है। जिस बंगाल में बीजेपी के सिर्फ 2 सांसद हैं वहां मोदी एंड पार्टी ने पूरी ताकत झोक दी है लेकिन चुनौती बड़ी है। बंगाल दीदी का ऐसा गढ़ है जहां सेंध लगाना लोहे के चने चबाने जैसा है। वामपंथियों को उखाड़ फेंकने वाली ममता की जड़ें बहुत गहरी हैं ये बात बीजेपी भी जानती है, तभी खुद मोदी बंगाल का मोर्चा फतह करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, दीदी के खिलाफ जनमत तैयार कर रहे हैं।
2019 की जंग में बीजेपी भी परिवर्तन चाहती है। परिवर्तन बंगाल की लोकसभा सीटों के आंकड़ों में। इस बार 2 से 22 का टारगेट है लेकिन नतीजा क्या होगा इसकी इंतजार पूरे देश को है क्योंकि तीन देवियों से मोदी की टक्कर बहुत जबर्दस्त, जानदार और सियासी जलजले वाली होगी।