लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर और इससे जुड़ी तमाम घटनाओं की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में किए जाने की मांग की है। मायावती ने कहा कि विकास दुबे को लाते हुए पुलिस की गाड़ी पटलटने, उसके भागने और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसके एनकाउंटर की पूरी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए।
मायावती ने अपने ट्वीट संदेश में कहा, "कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।"
मायावती ने अगले ट्वीट संदेश में कहा, "यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके। साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है।"
दिग्विजय सिंह ने भी पूछा सवाल
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा है कि अब विकास और राजनेताओं व पुलिस अफसरों का संपर्क उजागर नहीं हो पाएगा। विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन-किन राजनीतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले तीन-चार दिनों में विकास दुबे के दो अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
सिंह ने जांच की मांग करते हुए कहा कि यह पता लगाना आवश्यक है विकास दुबे ने मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर को सरेंडर के लिए क्यों चुना? मध्यप्रदेश के कौन से प्रभावशाली व्यक्ति के भरोसे वो यहां उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने आया था?
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