नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने पर कई लोगों ने पहले भी सवाल उठाया था। उन्होंने अपने भाषण में कहा- 'इस विषय में 2015 में मैं बोल रहा था बाबा साहेब की जयंती पर तब भी विरोध हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से लेकर आ गए, क्यों कर रहे हो, क्या जरूरत थी, बाबा साहेब आंबेडकर का नाम हो और आपके मन में यह भाव उठे, यह देश अब सुनने के लिए तैयार नहीं है। अब भी बड़ा दिल रखकर खुले मन से बाबा साहेब के पुण्य समरण की तैयारी न होना भी एक चिंता का विषय है।'
पीएम मोदी ने कहा-' अच्छा होता देश आजाद होने के बाद 26 जनवरी गणतंत्र मनाए जाने के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू करनी चाहिए थी, ताकी हमारी पीढ़ियों को पता चलता कि किस तरह संविधान बना, क्यों बना, यह हमें कहां लेकर जाता है और किसलिए लेकर जाता है। इनसबकी अगर चर्चा होती है तो संविधान जिसे दुनिया में एक जीवंत इकाई के तौर पर माना है और एक सामाजिक दस्तावेज के तौर पर माना है।'
प्रधानमंत्री ने कहा-'आज का दिवस बाबा साहेब अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जैसे दुरंदेशी महानुभावों को नमन करने का है, आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है, क्योंकि इसी पवित्र जगह पर महीनों तक भारत के विद्वानजनों ने एक्टिविस्टों ने देश के उज्जवल भविष्य के लिए व्यवस्थाओं को निर्धारित करने के लिए मंथन किया था और उसमें से संविधान रूपी अमृत हमें प्राप्त हुआ है जिसने आजादी के इतने लंबे कालखंड के बाद हमें यहां पहुंचाया है, आज पूज्य बापू को भी नमन करना है, आजादी की जंग में जिन जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया अपना जीवन खपाया, उन सबको भी नमन करने का यह दिवस है।'
पीएम मोदी ने 26/11 के शहीदों को भी नमन किया। उन्होंने कहा-' आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में वैसी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, भारत के संविधान में सूचित देश के सामान्य मानवी की रक्षा में जिम्मेदारी के तहत अनेक हमारे वीर जवानों ने उन आतंकवादियों से लोहा लेते लेते अपने आप को समर्पित कर दिया और सर्वोच्च बलिदान दिया, मैं उन सभी बलिदानियों को भी आदर पूर्वक नमन करता हूं।'
पीएम मोदी ने कहा-'हमारा संविधान, यह सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान, सहस्रों वर्ष की भारत की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है, और इसलिए हमारे लिए लेटर इन स्पिरिट में संविधान के प्रति समर्पण और जब हम इस संवैधानिक व्यवस्था से जनप्रतिनिधी के रूप में ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक जो भी दायित्व निभाते हैं, हमें संविधान के प्रति समर्पित भाव से ही अपने आप को सज्ज रखना होगा। जब ये करते हैं तो संविधान की भावनाओं को कहां चोट पहुंच रही है, उसको भी हम नजरंदाज नहीं कर सकते। इसलिए संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह संविधान के प्रकाश में सही है या गलत। हर वर्ष संविधान दिवस मनाकर हमें अपने आप का मूल्यांकन करना चाहिए।'
Latest India News