मुंबई। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल का सोमवार को विस्तार हुआ। इस मंत्रिमंडल विस्तार में डिप्टी सीएम का पद NCP के अजित पवार को मिला। ये चौथा मौका है जब अजित पवार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने हैं। आज कुल 26 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। इस मंत्रिमंडल विस्तार की सबसे गौर करने वाली बात ये रही कि उद्धव ठाकरे के सबसे ‘खासम-खास’ संजय राउत कहीं नजर नहीं आए। संजय राउत आज के शपथ कार्यक्रम से गायब रहे।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि संजय राउत आज के कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे, लेकिन कई राजनीतिक पंडित इसके पीछे की वजह अजित पवार को डिप्टी सीएम पद देना बता रहे हैं। आपको बता दें कि आज अजित पवार ने चौथी बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली, इससे पहले का उनका कार्यकाल महज तीन दिन का रहा था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के खिलाफ बगावत करते हुए भाजपा से हाथ मिलाकर उन्होंने 23 नवंबर की सुबह शपथ लेकर सबको हैरान कर दिया था। लेकिन, 26 नवंबर को उनके इस्तीफे के बाद देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार गिर गयी।
महाराष्ट्र में 1999-2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के 15 साल के कार्यकाल में पवार दो बार उपमुख्यमंत्री रहे। अपने चाचा और राकांपा प्रमुख शरद पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्रवाई का हवाला देते हुए दो महीने पहले जब अजित ने राजनीति छोड़ने की घोषणा की तो उनकी ही पार्टी के कुछ लोगों ने कहा कि वह दिग्गज नेता की छाया से बाहर निकलना चाहते हैं। इस धारणा को पिछले महीने एक बार तब बल मिला जब अजित पवार ने महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनने के लिए भगवा पार्टी से हाथ मिला लिया।
राजनीतिक पंडित की मानें तो अजित पवार के अलावा मंत्रिमंडल में कांग्रेस विधायक असलम शेख को शामिल करना भी संजय राउत की कार्यक्रम से दूरी बनाने की एक वजह हो सकती है। दरअसल असलम शेख उन विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने याकूब मेनन को फांसी की सजा के विरोध में राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। याकूब मेनन को मुंबई में हुए बम धमाकों के लिए फांसी दी गई थी।
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