मुंबई: महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसके लिए सरकार बनाने की कवायद जारी है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने खुलकर कह दिया है कि सरकार बनाएंगे और 5 साल चलाएंगे। आज शिवसेना ने भी एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोंका है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बन चुका है बस फाइनल मुहर बाकी है। लेकिन इन सबके बीच महाराष्ट्र के मुसलमान मतदाता खुलकर नाराजगी जता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आखिर इन पार्टियों का सेक्युलरिज्म अब कहां गायब हो गया। मुसलमानों का कहना है कि हमने इन्हें धर्मनिरपेक्षता के नाम परो वोट दिया था लेकिन अब सरकार बन रही है कट्टर हिंदुत्ववादी सोच के साथ।
आज ऐसा ही नजारा मुंबई में महाराष्ट्र कांग्रेस का तिलक भवन दफ्तर में देखने को मिला। कांग्रेस दफ्तर पहुंचे माहिम दरगाह के मुफ्ती मंजूर झियाई ने शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद कांग्रेस नेताआसिफ कुरैशी इनके सवालों पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि आप इस मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष से बात कर लीजिए।
महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है जब अलग अलग विचारधारा के ये दल सरकार बना रहे हैं जिसका नेतृत्व शिवसेना करेगी। तीनों दलों ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा तैयार कर लिया है जिससे राज्य में उनके गठबंधन का एजेंडा निर्धारित होगा। इससे पहले पिछले दो दशक में राज्य की सियासत भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के इर्दगिर्द घूमती रही है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
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