मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना में गतिरोध जारी है। इसबीच सूत्रों ने इस बात का दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जो तय हुआ था न हमें उससे कम चाहिए और न ज्यादा। सूत्रों ने ये भी दावा किया है कि ठाकरे ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह 2014 की व्यवस्था के मुकाबले इस बार गठबंधन सरकार में बड़ी हिस्सेदारी चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार शिवसेना प्रमुख ने अपनी पार्टी के विधायकों को यह भी बताया कि भाजपा ने अभी तक सरकार गठन के लिए सत्ता बंटवारे के किसी फॉर्मूले की पेशकश नहीं की है।
एकनाथ शिंदे चुने गए शिवसेना विधायक दल के नेता
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने बृहस्पतिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे को विधानसभा में पार्टी का नेता चुन लिया। इसके साथ ही सुनील प्रभु को शिवसेना का मुख्य सचेतक चुना गया। पड़ोसी ठाणे से विधायक शिंदे पूर्ववर्ती कार्यकाल में भी सदन के नेता थे।
वह इसके साथ ही भाजपा-शिवसेना सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। पहली बार विधायक चुने गए आदित्य ठाकरे ने शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा। प्रताप सरनाइक ने प्रस्ताव का समर्थन किया। शिवसेना सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख और आदित्य ठाकरे के पिता उद्धव ठाकरे अपने बेटे को शिवसेना विधायक दल का नेता बनाए जाने के इच्छुक नहीं थे।
दादर स्थित शिवसेना मुख्यालय में आयोजित इस बैठक में उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे। इस बैठक में कुछ निर्दलीय विधायक भी उपस्थित थे जिन्होंने 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सत्ता बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान जारी रहने के बीच शिवसेना को समर्थन की घोषणा की है। शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती हैं जबकि भाजपा ने 105 सीटें जीती हैं। उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने दावा किया है कि सात निर्दलीय विधायक उसका समर्थन कर रहे हैं।
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