भोपाल। कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी पार्टी के विधायकों एवं उनकी सरकार को समर्थन दे रहे सभी विधायकों से कहा है कि वे मध्य प्रदेश विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही के दौरान हमेशा मौजूद रहें, ताकि बेवजह सरकार संकट में न आए। कर्नाटक में सत्ताधारी जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन के एक दर्जन से अधिक विधायकों के इस्तीफे से उत्पन्न संकट के बाद चौकस नजर आ रहे कमलनाथ ने मध्य प्रदेश भाजपा द्वारा उनकी सरकार को गिराने की आशंकाओं के बीच यह निर्देश दिए हैं।
वित्तीय मामलों सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विधानसभा में वोटिंग की नौबत आने की संभावनाओं के बीच कांग्रेस सरकार संख्या बल में मामूली रूप से अधिक है। इसे देखते हुए भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी नेताओं ने अपने विधायकों को भी सलाह दी है कि वे सदन में पूरी संख्या में हमेशा मौजूद रहें, ताकि यह सरकार संकट में आ जाए और अपने आप गिर जाए।
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कमलनाथ ने अपने निवास पर कांग्रेस विधायक दल की रविवार रात हुई बैठक में अपनी पार्टी के सभी विधायकों एवं उनकी सरकार को समर्थन दे रहे समजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी एवं निर्दलीय विधायकों को साफ-साफ कहा कि वे सभी इस मानसून सत्र में सदन में हमेशा उपस्थित रहें। इस बैठक में उनकी सरकार को समर्थन दे रहे सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायक भी शामिल हुए थे।
कमलनाथ को संभवत: डर है कि इस सत्र में बजट पेश होने के बाद भाजपा वित्तीय मामलों सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कभी भी वोटिंग की मांग कर सकती है और यदि उस वक्त सदन में सरकार समर्थक विधायक पर्याप्त संख्या में मौजूद नहीं रहे, तो उनकी सरकार संकट में घिर सकती है। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एवं मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने मंगलवार शाम हुई प्रदेश भाजपा विधायक दल की बैठक में कहा, ‘‘भाजपा के विधायक सदन में पूरी संख्या में हमेशा मौजूद रहें।’’
इसके अलावा, इन दोनों नेताओं ने कहा कि पार्टी विधायक पूरी ताकत, अध्ययन और ऊर्जा के साथ जन समस्याओं से जुड़े मुद्दों को सदन में उठाएं। वे मुखर रहें और सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दें। जनता की आवाज को इतने ताकत और इस तरीके से मुद्दों पर आधारित विरोध करें कि जनता को इसका असली चेहरा समझ में आ जाए।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से 114 कांग्रेस के कब्जे में हैं, जबकि 108 भाजपा, दो बसपा, एक सपा एवं चार निर्दलीय विधायक हैं। एक सीट वर्तमान में खाली है। कमलनाथ सरकार को बहुमत से कुछ ही अधिक विधायकों का समर्थन होने को लेकर भाजपा प्रदेश सरकार पर कभी भी गिरने का तंज कसती रहती है। वहीं, कांग्रेस कहती है कि उसकी सरकार पूरे पांच साल चलेगी।
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