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मप्र विधानसभा उपचुनाव को 'सिंधिया बनाम कमल नाथ' बनाने की कोशिश

आगामी समय में राज्य में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें 22 वे क्षेत्र हैं, जहां से सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दिया है और भाजपा इन सभी 22 नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाने का लगभग मन बना चुकी है।

Jyotiraditya Scindia and Kamal Nath- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Jyotiraditya Scindia and Kamal Nath

भोपाल: मध्य प्रदेश में आगामी दिनों में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दलों के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लिहाजा इस चुनाव को 'ज्योतिरादित्य सिंधिया बनाम कमल नाथ' पर केंद्रित करने की कोशिशें चल पड़ी हैं। राज्य में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से बनी है। सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने और सिंधिया समर्थक 22 तत्कालीन विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से कमल नाथ की सरकार गिर गई थी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को लगभग तीन माह का समय गुजर गया है और यह पूरा समय कोरोना काल के कारण सियासी हलचल से दूर रहा।

आगामी समय में राज्य में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें 22 वे क्षेत्र हैं, जहां से सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दिया है और भाजपा इन सभी 22 नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाने का लगभग मन बना चुकी है। यही कारण है कि अब उपचुनाव को सिंधिया बनाम कमल नाथ के नाम पर लड़ने की तैयारी है।

कांग्रेस के तमाम नेता सीधे तौर पर सिंधिया को निशाने पर ले रहे हैं। उनके बयान और सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले बयानों में सिंधिया ही निशाने पर होते हैं। कांग्रेस द्वारा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में मीडिया प्रभारी बनाए गए के.के.मिश्रा ने सिंधिया पर हमला करते हुए ट्वीट किया, "क्या मजाक बनाया हुआ है, रविवार को घोषित मप्र भाजपा की चुनाव संचालन समिति की सूची में छठवें स्थान पर 11 मार्च को बतौर राज्यसभा प्रत्याशी की घोषणा में भी नाम के आगे 'श्रीमंत' शब्द गायब? जबकि महाराष्ट्र के एक प्रत्याशी के नाम के आगे श्रीमंत उदयना राजे भोंसले लिखा हुआ है!! मजाक?"

वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में कोरोना फैलने का दोष कमल नाथ पर मढ़ा और कहा, "इंदौर में कोरोना फरवरी में ही फैला चुका था, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से लोग आ रहे थे, परीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कोई बैठक नहीं ली। एक बैठक जरूर हुई थी और वह थी आईफा की। टिकट को लेकर मारामारी थी, यह तय कर दिया गया था कि जो हिस्से देगा उसे पास मिलेगा, कोरोना से निपटने के लिए जो तैयारी होनी चाहिए थी, वह नहीं की गई थी।"

कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से लेकर राज्य के कई नेताओं ने भाजपा के भीतर सिंधिया की उपेक्षा का आरोप तो लगाया ही, साथ ही महत्वाकांक्षी भी बता रहे हैं। इतना ही नहीं, शिवराज सिंह चौहान द्वारा सिंधिया को भाजपा में शामिल कराए जाने के बाद कांग्रेस कथित तौर पर 'विभीषण' कहे जाने वाले बयान को भी प्रचारित करने में लगी है। वहीं सिंधिया और उनके समर्थकों को सत्ता-लोलुप भी करार दिया जा रहा है और भाजपा पर खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।

दूसरी ओर, भाजपा के नेताओं ने कहा है कि सिंधिया को कांग्रेस में सम्मान नहीं मिल रहा था, वे जनता की सेवा नहीं कर पा रहे थे, लिहाजा उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा। राजनीतिक विश्लेशक शिव अनुराग पटेरिया उपचुनाव को सिंधिया बनाम कमल नाथ किए जाने की कोशिशों को स्वीकारते हुए कहते हैं कि राज्य में उपचुनाव होना है और उसमें से अधिकांश 16 विधानसभा क्षेत्र ग्वालियर-चंबल में आते हैं, जहां सिंधिया का प्रभाव है। कांग्रेस की कोशिश है कि वहां चुनाव को सिंधिया बनाम कमल नाथ बना दिया जाए, क्योंकि ग्वालियर-चंबल संभाग में बगावत को तो स्वीकार किया जाता है, मगर धोखा देने वाले को तिस्कार मिलता है। इसके चलते कांग्रेस की कोशिश चुनाव को पूरी तरह सिंधिया और उनके समर्थकों के खिलाफ माहौल बनाने की है और इसीलिए उपचुनाव को सिंधिया बनाम कमल नाथ बनाया जा रहा है।

वे आगे कहते हैं कि मुख्यमंत्री चौहान भी लगातार कमल नाथ पर हमले बोल रहे हैं। इसके जरिए चौहान उस अवधारणा को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा जाता रहा है कि कमल नाथ को सरकार चलाते समय चौहान का समर्थन रहा है।

 

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