मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेत्री हिमाद्रि सिंह ने विवाह के बाद दल बदला, मिल सकता है टिकट
विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे आकर्षक और युवा चेहरे के तौर पर पहचान रही है हिमाद्रि की। वे कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर शहडोल से लोकसभा का उपचुनाव भी लड़ चुकी हैं।
भोपाल: हर लड़की की शादी के बाद उसकी दुनिया ही बदल जाती है। उसका एक घर-परिवार छूटता है और वह दूसरे परिवार का हिस्सा बन जाती है। उसे ससुराल के रीति-रिवाजों के मुताबिक जीवन गुजारना होता है। मध्य प्रदेश के राजनीतिक फलक पर एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां कांग्रेस की महिला राजनेता का विवाह के बाद परिवार ही नहीं बदला, बल्कि उसने अब दल भी बदल लिया है।
हम बात कांग्रेस की नेत्री हिमाद्री सिंह की कर रहे हैं। विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे आकर्षक और युवा चेहरे के तौर पर पहचान रही है हिमाद्री की। वे कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर शहडोल से लोकसभा का उपचुनाव भी लड़ चुकी हैं। हिमाद्री ने सितंबर, 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी के साथ विवाह रचाया। अब उन्होंने ससुराल के सदस्यों की पार्टी भाजपा में प्रवेश कर लिया है। हिमाद्री भी कहती हैं, "शादी के बाद एक लड़की घर छोड़कर दूसरे घर आती है तो उसका परिवार वही हो जाता है। मैं भी अपने माता-पिता का घर छोड़कर नरेंद्र मरावी के घर आई। जब मायके में थी तो कांग्रेस में रही और अब जब मरावी के घर आई तो भाजपा में चली आई।"
हिमाद्री ने आगे कहा कि उसके पति और चचिया ससुर भाजपा के नेता हैं। जब उसकी ससुराल के लोग भाजपा में हैं तो वह भी इस दल में शामिल हो गई हैं। यह बात अलग है कि हिमाद्रि ने विवाह के समय कहा था कि कुछ भी हो जाए, कांग्रेस नहीं छोड़ेंगी, राजनीति कभी भी वैवाहिक जिंदगी के बीच नहीं आएगी।
कांग्रेस ने हिमाद्री के 'परिवार बदलने के साथ पार्टी बदलने' पर तल्ख टिप्पणी की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा कि हिमाद्री का दलबदल कोई विचारधारा का मामला नहीं है। यह तो पूरी तरह राजनीतिक व्यावसायिकता है। हिमाद्रि को आचार्य कृपलानी और उनकी पत्नी के बारे में भी जानना चाहिए, जो रहे तो एक साथ, मगर अलग-अलग झंडे लहराया।
भाजपा नेता और अपने पति नरेंद्र मरावी के साथ भाजपा दफ्तर पहुंचकर हिमाद्री ने बुधवार को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह की मौजूदगी में सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर भाजपा की महिला विधायक कृष्णा गौर भी मौजूद रहीं। सिंह और गौर ने हिमाद्री को दुशाला उढ़ाकर पार्टी की सदस्यता दिलाई।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने हिमाद्री को लोकसभा चुनाव में शहडोल से उम्मीदवार बनाने का भरोसा दिलाया गया था। साथ ही शर्त लगाई थी कि अपने पति को कांग्रेस में लाए, तब उसे उम्मीदवार बनाया जाएगा। कांग्रेस नेताओं की यह शर्त उन पर नागवार गुजरी और उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया।
हिमाद्री के पिता दलवीर सिंह कांग्रेस से सांसद रहते हुए दो बार केंद्र सरकार में मंत्री रहे तो उनकी मां राजेश नंदिनी दो बार कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं। हिमाद्री के पति नरेंद्र ने वर्ष 2009 में राजेश नंदिनी के खिलाफ शहडोल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जिसमें वे हार गए थे। इस समय शहडोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा के ज्ञान सिंह सांसद हैं।
हिमाद्री के कांग्रेस छोड़कर पति की पार्टी में आ जाने से भाजपा को यह संभावना है कि विंध्य क्षेत्र में उसका प्रदर्शन बेहतर रहेगा। पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। यहां से पार्टी के कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था। विंध्य की लोकसभा की चारों सीटों पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। भाजपा अपने इस प्रदर्शन को इस बार के चुनाव में भी बरकरार रखना चाहती है। उसे लगता है कि हिमाद्री का भाजपा में आने से यह काम और आसन हो जाएगा।