मुंबई. शिवसेना और राकांपा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करने के दौरान आर्थिक चिंताओं को दूर करने में विफल रहे है। इन दोनों पार्टियों ने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन में कमी थी क्योंकि उन्होंने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक प्रभावित लोगों तथा गरीबों के लिए राहत पैकेज के लिए कोई उपाय नहीं बताए। शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांडे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि शुक्र है कि उन्होंने (प्रधानमंत्री) इस बार थाली बजाने या दीये जलाने जैसा कोई काम नहीं दिया।
कयांडे ने कहा कि पीएम मोदी अलग से घोषणा करने के बजाय बुधवार को नए दिशा-निर्देशों के साथ ही लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘‘वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए विस्तृत कदम उठा सकते थे, विभिन्न क्षेत्रों में (महामारी से उत्पन्न खतरे के आधार पर) गतिविधियों पर लगी पाबंदियों में छूट दे सकते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शुक्र है कि उन्होंने थाली बजाने या दीये जलाने जैसा कोई अन्य कार्य लोगों को नहीं दिया। उसमें (भाषण में) लॉकडाउन को बढ़ाये जाने के अलावा कुछ भी ठोस नहीं था।’’
महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि मोदी ने गरीबों की मदद के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक प्रभावित गरीबों, असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की मदद के लिए केन्द्र सरकार की ओर से एक पैकेज तक की घोषणा नहीं की। कहीं भी इसका कोई जिक्र नहीं था।’’ राकांपा के एक अन्य प्रवक्ता महेश तापशे ने कहा कि ऐसी उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री देश के सामने खड़ी आर्थिक चिंताओं पर कुछ कहेंगे। उन्होंने कहा कि नियोक्ता और कर्मचारी सरकार से जानना चाहते थे कि आने वाले समय में मंदी और बेरोजगारी से कैसे निपटा जाएगा।
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