नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि 2013 में पारित हुआ भूमि अधिग्रहण कानून किसान विरोधी था, इसलिए इसकी जगह नए भूमि कानून की जरूरत है। जेटली ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, "2013 का भूमि अधिग्रहण कानून ग्रामीण भारत के लिए बेहद हानिकारक था।"
उन्होंने कहा, "यह कानून ग्रामीण भारत के अनुकूल नहीं है। इसमें ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि सिंचाई के लिए भूमि अधिग्रहित करने को भी कानून में जगह नहीं दी गई है। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए भी भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं है।"
लोकसभा ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना अधिकार (संशोधन) विधेयक को पारित किया था। इसके पहले दिसंबर में इससे संबंधित एक अध्यादेश लाया गया था। लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक को भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके बाद इस बारे में फिर अध्यादेश लाया गया।
जेटली ने कहा, "रेल मार्गो और राजमार्गो के किनारे औद्योगिक गलियारे विकसित करने की योजना का क्या होगा। जिससे कि इन गलियारों से लगी भूमि की कीमत बढ़ेगी।"
उन्होंने कहा, "देश में 30 करोड़ ग्रामीण गरीब हैं, जिनमें से अधिकतर दलित हैं, और उन्हें रोजगार की तलाश है। 2013 का कानून भूमिहीनों और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के खिलाफ है। 2015 का कानून इन खामियों को ठीक करने के लिए लाया गया है।"
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