नई दिल्ली: बिहार की राजनीति के लिए बुधवार का दिन बेहद अहम रहा। यहां तेजी से बदलते घटनाक्रम ने सबको चौंका दिया। तेजस्वी और नीतीश कुमार में कई दिनों से तनातनी चल रही थी लेकिन किसी को भी यह अनुमान नहीं था कि नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे। जेडीयू के कुछ नेताओं का कहना है कि चारा घोटाले और तमाम मामलों से परेशान लालू असल में भाजपा से डील कर नीतीश को सत्ता से बेदखल करने की योजना बना रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार को इसकी भनक लग गई और उन्होंने इसके पहले ही बाजी पलट दी। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक खुद लालू भाजपा से डील कर नीतीश के पांव के नीचे से जमीन खिसकाने का मंसूबा पाले हुए थे। जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक नीतीश वैसे तो पहले से ही आरजेडी के तमाम मंत्रियों के आचरण से खुश नहीं थे, लेकिन यह गठबंधन इतनी जल्दी नहीं टूटता, अगर नीतीश को एक महत्वपूर्ण खबर की भनक न लगी होती। जेडीयू सूत्रों की मानें तो लालू प्रसाद ने दो केंद्रीय मंत्रियों तक अपने दूत भेजकर अपने परिवार पर आए कानूनी पचड़े को दूर करने की मदद मांगी थी और उसके बदले बिहार में नीतीश को सत्ता से बाहर करने की पेशकश की थी।
सूत्रों के मुताबिक समस्या तब शुरू हुई, जब लालू और उनके करीबी सहयोगी और आरजेदी के सांसद प्रेम चंद गुप्ता मोदी सरकार में कुछ नेताओं से मिले थे। ज्यादातर, गुप्ता ने भाजपा के नेताओं से मुलाकात की, लेकिन फिर कई बार लालू भी साथ गए। यह मुलाकात लालू और उनके परिवार के खिलाफ शुरू की गई जांच को बंद कराने की कोशिश थी जिसके लिये आरजेदी बिहार में नीतीश सरकार को गिराने के लिये भी तैयार थी।
जब इस बात की भनक नीतीश कुमार को लगी तो उन्होंने सच को पुख्ता कर आनन-फानन में नीतीश ने भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं से बात की और त्यागपत्र देने के बाद फिर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना बनाई।
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