पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चारा घोटाला के मामले में सजायाफ्ता और रांची स्थित रिम्स अस्पताल में इलाज करा रहे लालू प्रसाद पर जेल में रहते हुए भी फोन के जरिये बाहर के लोगों से संपर्क करने का आरोप लगाया है। नीतीश ने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कहा ''यह तो लोगों को पता ही है कि लालू जी जेल में रहने पर भी जेल से बात करते रहते हैं। नियम है कि जेल में रहते हुए आप (फोन पर) बात नहीं कर सकते। लेकिन तथ्य सबको मालूम नहीं है।’’
लालू के बडे़ पुत्र तेजप्रताप यादव ने नीतीश के इस आरोप का खंडन करते हुए इसे बेबुनियाद बताया और कहा कि न तो लालू से कभी फोन पर बात हुई और न ही जेल में फोन का इस्तेमाल होता है। ‘‘रिम्स अस्पताल में जहां मेरे पिता जी रहते हैं वहां चेकिंग भी होती है। जेल के नियम का हमारे पिता पालन करते हैं।’’
झारखंड के रांची स्थित रिम्स में इलाज करा रहे लालू से मिलने की इच्छा रखने वालों की हर शनिवार को उनसे वहां मुलाकात करायी जाती है। भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कथित तौर पर आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के कारण उन्हें भागलपुर से टिकट नहीं दिया गया। इस बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने नाराजगी व्यक्त करते हुए शहनवाज से अपना बयान वापस लेने को कहा और भाजपा से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
2014 में शहनवाज ने भागलपुर से चुनाव लड़ा था और वे हार गए थे। इस बार भागलपुर लोकसभा सीट राजग गठबंधन के सहयोगी जदयू के खाते में गई है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हम लोगों ने केवल दरभंगा लोकसभा सीट को देने के लिए जोर डाला था। दरभंगा सीट भाजपा को मिली है। अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार से हाल में राजनेता बने प्रशांत किशोर को जदयू के भीतर दरकिनार किए जाने की खबरों को खारिज करते हुए नीतीश ने कहा ‘‘वह पार्टी की प्रचारक सूची में शामिल है। अभी उनके पिता जी की तबियत खराब है और वे उनकी देखभाल में लगे हैं।’’
पार्टी में प्रशांत की हैसियत दूसरे नंबर की होने के बारे में पूछने पर नीतीश ने कहा ‘‘वे जदयू के उपाध्यक्ष हैं। संख्या विश्लेषण का विषय हो सकता है। उनके प्रति पार्टी के भीतर सम्मान का भाव है लेकिन उनके मन में अगर कोई भ्रम हो तो यह एक अलग बात है। उन पर मुझे पूरा विश्वास और भरोसा है। मेरे प्रति भी वे स्नेह भाव रखते हैं लेकिन कभी कभी राजनीति में कई तरह की बातें होती हैं। अब तक वे राजनीतिक रणनीतिकार थे पर अब वे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता जमीन से जुडे़ होते हैं। ’’
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