शिवसेना ने पूछा, हमारे 20 जवानों की हत्या अगर उकसाना नहीं तो क्या है?
संपादकीय में यह भी कहा गया कि देश ने 1962 की गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा। इसमें कहा गया, “हम 1962 की तुलना में आज ज्यादा मजबूत हैं। अगर (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू को दोषी ठहराने वाले लोग आत्मावलोकन करें, तो 20 जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।”
मुंबई. शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर हैरत जतायी कि उकासये जाने पर भारत मुंहतोड़ जवाब देगा और शुक्रवार को कहा कि चीनी सेना द्वारा हमारे 20 सैन्यकर्मियों की हत्या अपने आप में उकसावा है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया कि जो लोग जवाहरलाल नेहरू को 1962 की भारत-चीन जंग को लिये दोषी ठहराते हैं उन्हें आत्मावलोकन की जरूरत है।
इसमें कहा गया, “मोदी कहते हैं कि उकसाया गया तो हम जवाब देंगे। अगर 20 जवानों की हत्या उकसाना नहीं है तो क्या है? 20 जवानों की हत्या उकसावा है और हमारे आत्म सम्मान व अखंडता पर हमला है।” संपादकीय में कहा गया, “20 सैनिकों की शव पेटिकाएं गर्व की बात नहीं हैं।” इसमें कहा गया, “ हम आए दिन जवाब देने की बात कहते हैं। लेकिन हम सिर्फ पाकिस्तान को डरा सकते हैं। हम इस धारणा को कब पीछे छोड़ेंगे कि हम चीन का मुकाबला नहीं कर सकते।”
संपादकीय में यह भी कहा गया कि देश ने 1962 की गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा। इसमें कहा गया, “हम 1962 की तुलना में आज ज्यादा मजबूत हैं। अगर (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू को दोषी ठहराने वाले लोग आत्मावलोकन करें, तो 20 जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।” मराठी दैनिक ने मोदी पर चीन मामले को “अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप तक ले जाने” का आरोप लगाया।
संपादकीय में पूछा गया, “यह कहा जा रहा है कि ट्रंप भारत-चीन घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहे हैं। इससे क्या (अच्छा) हो जाएगा? 1971 में जब अमेरिका ने पाकिस्तान का पक्ष लिया, रूस ने अपना नौसैनिक बेड़ा भारत की मदद के लिये भेज दिया। क्या मोदी के दोस्त ट्रंप भारत के लिये ऐसी मदद भेजेंगे?”
इसमें कहा गया, “हम निश्चित रूप से चीन पर आर्थिक नाकेबंदी लगा सकते हैं। भारत को चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए। चीनी कंपनियां पूरे देश में फैली हुई हैं। महाराष्ट्र अगर कोई अनुबंध रद्द करता है तो दूसरा राज्य उस कंपनी के साथ अनुबंध कर लेता है। इसलिये चीनी कंपनियों को लेकर केंद्र सरकार की एक जैसी नीति होनी चाहिए।” शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया, “दोनों देशों के बीच व्यापार छह लाख करोड़ रुपये का है। दोनों तरफ निवेश और रोजगार में लोग लगे हैं लेकिन अधिकतर फायदा चीन का है।”
मुखपत्र में दावा किया गया कि दोनों देशों के रिश्ते अमेरिका की वजह से बिगड़े। संपादकीय में कहा गया, “हम नहीं भूल सकते की चीन महत्वपूर्ण पड़ोसी है। पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका भारत का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी की वजह से चीन पीछे नहीं हटेगा।”
अखबार ने चेताया, “हमारी विदेश नीति चीन और पाकिस्तान से हमारे संबंधों पर आधारित होनी चाहिए क्योंकि भारत विरोधी रुख के कारण ये दोनों देश साथ आए हैं। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि अगर युद्ध होता है तो हमें इन दोनों देशों से लड़ना होगा। भले ही हमारी युद्ध क्षमता संदेह से परे है, हम दो मोर्चों पर एक साथ नहीं लड़ सकते।”