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Hindi News भारत राजनीति कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...

कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...

संसद भवन और राज्यों की विधानसभाओं में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के लिये मतदान केन्द्र बनाये जाते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर संसद सदस्य किसी राज्य की विधानसभा में या विधानसभा सदस्य दिल्ली स्थित संसद भवन में भी मतदान कर सकते हैं

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सांसदों के मतों के वेटेज का तरीका कुछ अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को लोकसभा के चुने हुए सांसदों और राज्यसभा की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो अंक मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है। सांसद के मतों का मूल्य 708 है।

विधायकों के मतों का मूल्य तय करने के लिए संबंधित राज्य की वर्ष 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया जाता है। उस दौरान रही राज्य की जनसंख्या से राज्य के चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। इससे हासिल अंक को 1000 से भाग देने के बाद हासिल संख्या को संबंधित राज्य के विधायक के मत का मूल्य माना जाता है। 1000 से भाग देने पर यदि शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो उसके वेटेज में 1 का इजाफा कर दिया जाता है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश के एक विधायक का मूल्य 208, बिहार के विधायक के एक मत का मूल्य 173 तो पश्चिम बंगाल के एक विधायक केमत का मूल्य 151 है। सिक्किम के एक विधायक का मूल्य महज 7 है जो अन्य राज्यों के विधायकों में सबसे कम है। वर्ष 2026 तक मतों का मूल्य को आंकने केलिए वर्ष 1971 की जनसंख्या को ही आधार माना जाएगा।

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