राजनीति की ‘पेचीदा पिच’ पर उतरे टीम इंडिया के ‘मैच विनर’ गंभीर, जानें उनके बारें में सब कुछ
आठ साल पहले वानखेड़े स्टेडियम पर विश्व कप फाइनल में खेली गई 97 रन की पारी हो या 2007 में पहले टी20 विश्व कप फाइनल में 54 गेंद में बनाए 75 रन हों, गौतम गंभीर हमेशा ही बड़े मैचों के खिलाड़ी रहे हैं लेकिन अब राजनीति की पेचीदा पिच पर उनके हुनर की असली आजमाइश होगी।
नई दिल्ली: आठ साल पहले वानखेड़े स्टेडियम पर विश्व कप फाइनल में खेली गई 97 रन की पारी हो या 2007 में पहले टी20 विश्व कप फाइनल में 54 गेंद में बनाए 75 रन हों, गौतम गंभीर हमेशा ही बड़े मैचों के खिलाड़ी रहे हैं लेकिन अब राजनीति की पेचीदा पिच पर उनके हुनर की असली आजमाइश होगी। गंभीर शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। उनका यह फैसला हालांकि चौकाने वाला नहीं रहा क्योंकि देश और समाज से जुड़े मसलों पर उनकी बेबाक टिप्पणियों के चलते, उनके राजनीति में आने के कयास काफी समय से लगाये जा रहे थे।
पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस पत्र के बाद ये अटकलें तेज हो गई थीं जिसमें उन्होंने क्रिकेट से संन्यास के बाद गंभीर को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उनके प्रदर्शन को लेकर बधाई देते हुए कहा था कि भविष्य में कई दूसरी पारियों का इससे आगाज होगा। मोदी ने पत्र में लिखा था, ‘‘इस निर्णय से एक नहीं, बल्कि आपके जीवन की कई दूसरी पारियां शुरू होंगी। आपके पास अन्य पहलुओं पर काम का समय और अवसर होगा जिसके लिए पहले आपको समय नहीं मिल रहा था।’’
ऐसी अटकलें हैं कि उन्हें नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी की जगह भाजपा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यानी राजनीति से जुड़ते ही चुनावी महासमर क्रिकेट के मैदान पर दिग्गजों की बखिया उधेड़ने वाले टीम इंडिया के इस धुरंधर का इंतजार कर रहा है। दिल्ली के राजिंदर नगर इलाके में रहने वाले और बाराखम्बा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले गंभीर क्रिकेट के मैदान पर भी अपने आक्रामक तेवरों के लिए विख्यात थे। कई बार क्रिकेट पंडितों को उनकी आक्रामकता नागवार भी गुजरी लेकिन उनके साथी खिलाड़ियों को बखूबी पता था कि यह उनका जोश बढ़ाने के लिए थी।
11 अप्रैल 2003 को बांग्लादेश के खिलाफ पहला वनडे खेलने वाले गंभीर ने अगले साल ऑस्ट्रेलिया के सामने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। वह लगातार पांच टेस्ट में शतक जमाने वाले दुनिया के चार बल्लेबाजों में शामिल अकेले भारतीय हैं। अपनी कप्तानी में दो बार कोलकाता नाइट राइडर्स (2012 और 2014) को आईपीएल चैम्पियन बना चुके हैं। भारत के लिए 58 टेस्ट में 4154 रन और 147 वनडे में 5238 रन बना चुके गंभीर ने अधिकतर मौकों पर टीम के लिये संकटमोचक की भूमिका निभाई।
सलामी बल्लेबाज के तौर पर पहली ही गेंद से अपनी आक्रामकता को मैदान पर लाने वाले गंभीर को मैदान पर अपनी भूमिका पता थी और दुनिया के किसी भी गेंदबाज की ख्याति से वह खौफ नहीं खाते थे। भारतीय टीम हो, दिल्ली की रणजी टीम हो या आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स हो, गंभीर ने हमेशा दिल की सुनी और अपने खेल के साथ समझौता नहीं किया। टी20 विश्व कप 2007 और एक दिवसीय विश्व कप 2011 फाइनल में ‘मैच विनर’ की भूमिका निभाने के बावजूद वह ‘मैन ऑफ द मैच’ नहीं रहे लेकिन इसका उन्होंने कभी भी मलाल जाहिर नहीं किया।
दिल्ली क्रिकेट में भी खिलाड़ियों से जुड़े मसलों पर वह हमेशा मुखर रहे और क्रिकेट प्रशासन से भी इस वजह से उनकी कई बार ठनी। क्रिकेट से इतर गंभीर अपने सामाजिक सरोकारों के लिए भी चर्चा में रहते आए हैं। गौतम गंभीर फाउंडेशन के मार्फत उन्होंने 2017 में सुकमा में नक्सली हमले में मारे गए सुरक्षाकर्मिेयों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का ऐलान किया। इसके अलावा गरीबों के लिए दिल्ली में लंगर शुरू किया।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने विचार बेबाकी से रखे और 30 मई से इंग्लैंड में शुरू हो रहे विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलने की बात भी कही।