नई दिल्ली. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर किसान 20 दिनों से ज्यादा समय से जमे हुए हैं। किसानों के इस प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के कई रास्ते बंद हो गए हैं। किसान संगठनों के इस आंदोलन को लेकर हमने बात की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से। स्मृति ईरानी ने इस दौरान कहा कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो नहीं चाहते कि देश का किसान संपन्न हो, बिचौलियों का राज समाप्त हो और कृषि के पूरे क्षेत्र में भारत का उत्थान हो, भारत की उन्नति हो। यही लोग चाहते हैं कि गतिरोध बना रहे। सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर दो तीन बातें बतलाने लायक हैं।
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स्मृति ईरानी ने कहा कि साल 2001 से इस बिल पर चर्चाएं शुरू हो गईं थी कि किस प्रकार से रिफॉर्म की जरूरत है। भारत सरकार, किसान संगठन, राज्य सरकारें और बाकी विशेषज्ञ भी लगभग 19 साल से इसमें सम्मलित थे। जब यूपीए की सरकार थी, तब राहुल गांधी सहित कई लोगों ने कई इनमें से कई कानून में सुधार की बात की। उन्होंने कहा कि APMC का एक्ट खत्म कर दीजिए। भारत सरकार ने कहा कि किसान को कहीं भी बेड़ियों में जकड़ना नहीं चाहिए। किसान को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी होनी चाहिए।
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उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने अपने नेतृत्व में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में इस बात को कह दिया कि इस तरह के रिफॉर्म की दरकार है। यूपीए की सरकार में शरद पवार ने बतौर कृषि मंत्री इस तरह की चर्चाएं कीं। उन्होंने विधिवत प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को लिखकर कहा कि आपको इस तरह के रिफॉर्म लाने की जरूरत है। आज जो लोग ये बेड़ा उठाए बैठे हैं कि किसी तरह गतिरोध चलता रहे, मेरा उनसे कहना है कि जब आप सत्ता में थे औऱ नहीं भी तब भी आपने इन्हीं रिफॉर्म्स की बात की।
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स्मृति ईरानी ने कहा कि इस कानून में ये है कि आप किसान की जमीन जबरन छीन नहीं सकते। किसान की जमीन को अगर संरक्षण मिलता है तो राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को क्यों एतरान होता है। इस कानून में है कि आपको किसान का भुगता 72 घंटे में करना होगा। जीवन में कभी ऐसा कानून पारित नहीं हुआ। क्यों राहुल गांधी औऱ अरविंद केजरीवाल को इसपर ऐतराज है। स्मृति ईरानी ने कहा कि विपक्ष का काम है देशहित में हो रहे काम का खंडन करना है।
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