‘कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा’
रोहतगी ने यह भी कहा कि बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा है इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है और अयोग्य घोषित करना संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संक्षिप्त-सुनवाई है, जबकि इस्तीफ अलग है, उसे स्वीकार किया जाना सिर्फ एक मानक पर आधारित है कि वह स्वैच्छिक है या नहीं।
नई दिल्ली: पिछले दस दिनों से जारी कर्नाटक का सियासी नाटक अब अपने क्लाइमेक्स की ओर है। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों की उनका इस्तीफा स्वीकार किए जाने की मांग करने वाली अर्जी पर सुनवाई शुरू की। कोर्ट बागी विधायकों ने कहा कि इस्तीफा सौंपे जाने के बाद उसका निर्णय गुण-दोष के आधार पर होता है न कि अयोग्यता की कार्यवाही लंबित रहने के आधार पर। बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को देखना होगा कि इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं।
रोहतगी ने यह भी कहा कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष को विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा, उससे निपटने का और कोई तरीका नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में विश्वास मत होना है और बागी विधायकों को इस्तीफा देने के बावजूद पार्टी की व्हिप का मजबूरन पालन करना पड़ेगा इसिलिए विधानसभा अध्यक्ष जानबूझकर विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
रोहतगी ने यह भी कहा कि बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा है इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है और अयोग्य घोषित करना संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संक्षिप्त-सुनवाई है, जबकि इस्तीफ अलग है, उसे स्वीकार किया जाना सिर्फ एक मानक पर आधारित है कि वह स्वैच्छिक है या नहीं।
वहीं बागी विधायकों ने कहा कि कांग्रेस-जद (एस) की सरकार अल्पमत में रह गई है और विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार नहीं कर उन्हें विश्वासमत के दौरान सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए बाध्य करने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि 18 जुलाई को 11 बजे सदन में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद वोटिंग होगी। वहीं बीजेपी के सीनियर नेता केएस ईश्वरप्पा के मुताबिक़ कुमारस्वामी सरकार को विश्वास मत हासिल करने की जगह इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि उसके पास बहुमत नहीं बचा है। बागी विधायकों की मांग है कि कोर्ट उनके इस्तीफे स्वीकार करने के लिए विधानसभा स्पीकर को निर्देश दे।
बता दें कि पिछली सुनवाई में अदालत ने स्पीकर से यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। अब तक कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायक इस्तीफे दे चुके हैं। इनमें 13 कांग्रेस के जबकि 3 जेडीएस के विधायक हैं। दो निर्दलीय भी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेकर बीजेपी के खेमे में चले गए हैं। यानी नंबर गेम में इस वक्त कुमारस्वामी सरकार के पास 18 विधायकों की कमी है और अब अगर सरकार बरकरार रखनी है, तो कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट के दिन हर हाल में बीजेपी के नंबर 107 से ज्यादा की ताकत दिखानी होगी।
कर्नाटक विधानसभा के गणित की बात करें तो कांग्रेस-जेडीएस अलायंस के पास विधानसभा स्पीकर के अलावा 116 विधायक हैं जिनमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37 और बीएसपी का एक विधायक हैं। अगर बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर होते हैं, तो अलायंस का आंकड़ा 100 रह जाएगा जबकि 16 इस्तीफों के बाद सदन में सदस्यों की संख्या 208 हो जाएगी। ऐसी स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 105 हो जाएगा जबकि दो निर्दलीयों के साथ बीजेपी के पास 107 विधायकों का समर्थन है।
यानी कुमारस्वामी सरकार बरकरार रहे इसके लिए कम से कम 8 बागी विधायकों की नाराज़गी खत्म होनी जरुरी है। यही वजह है कि फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस-जेडीएस के साथ बीजेपी अपने विधायकों को सहेजने में जुटी है। हर खेमे ने अपने विधायकों को रिसॉर्ट में रखा है, ताकि उन्हें टूटने से बचाया जा सके। बीजेपी विधायक शुक्रवार से ही रामादा होटल में ठहरे हैं जबकि कांग्रेस ने अपने विधायकों को यशवंतपुर के एक 5 स्टार होटल में रखा है। वहीं जेडीएस के विधायक देवनहल्ली के पास एक रिसॉर्ट में हैं।