नई दिल्ली : कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने हाल ही में एक ऐसा सर्कुलर जारी किया है जिसके बाद प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच फिर नया विवाद शुरू हो गया है। इस सर्कुलर के कारण आरोप-प्रत्यारोप की राजनीती शुरू हो गई है। भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया की 'अल्पसंख्यंकों को रिझाने के लिए के लिए कांग्रेस घटिया राजनीती कर रही है।' दरअसल सिद्दारमैया सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत कर्नाटक में साम्प्रदायिक दंगों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है।
कर्नाटक की डीजीपी नीलमणि एन. राजू ने शुक्रवार (26 जनवरी) को एक ऐसा सर्कुलर जारी किया है, जिसके तहत राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज सांप्रदायिक हिंसा के सभी केस वापस लिए जाएंगे। यह सर्कुलर केवल पिछले पांच सालों के दौरान दर्ज हुए केसों पर ही लागू होगा। सरकार ने इस कदम को युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उठाया है। सरकार का कहना है कि इस कदम के बाद ऐसे केसों में फंसे लोग को आत्मविश्वास के साथ भविष्य के लिए आगे बढ़ेंगे।
पिछले दिनों भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जमकर बयानबाजी हुई थी। यहां तक कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जहां भाजपा, संघ और बजरंग दल के लोगों को आतंकवादी बताया था वहीं अमित शाह ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया था। वहीं कर्नाटक कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने आरोप लगाया था कि भाजपा के तमाम कार्यकर्ता आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हैं।
कर्नाटक में विपक्ष के नेता केएस ईश्वरप्पा के मुताबिक कांग्रेस की ये 'कम्यूनल पॉलिटिक्स' है। पूर्व मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि राज्य में चुनाव से पहले सिद्धारमैया की सरकार डिप्रेशन में चली गई है। भाजपा पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार किसान और कन्नड़ कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी केस वापस ले रही है। उन्होंने कहा कि हमलोग सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि सारे बेकसूर लोगों के खिलाफ केस वापस ले रहे हैं।
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