बेंगलुरू। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार ने स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी ने मई में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश कर एक बड़ी गलती की थी। शिवकुमार ने लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति अस्वीकार्य है।
गौरतलब है कि पिछली सिद्धरमैया सरकार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत कार्ड खेला था, जिसकी कांग्रेस को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी और उसे कई सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। शिवकुमार के इस खुले कबूलनामे ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विपक्षी भाजपा को एक संभावित हथियार दे दिया है।
उन्होंने बुधवार को दशहरा सम्मेलन में यह बात स्वीकार की। भाजपा ने सिद्धरमैया नीत सरकार पर राजनीतिक फायदे के लिए समाज को बांटने का आरोप लगाया था। शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक में हमारी सरकार ने एक बड़ी गलती की थी। उन्होंने कहा कि राजनीति और सरकार में मौजूद हम लोगों को धर्म और जाति से जुड़े विषयों में कभी हाथ नहीं डालना चाहिए। हमारी सरकार ने यह अपराध किया।उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि लोगों ने इस कदम को पसंद नहीं किया।
बाद में गुरूवार को बेंगलुरू में शिवकुमार ने कहा कि बतौर मंत्री उन्हें लगता है कि उन्हें अपना विचार जाहिर करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें सलाह दी थी कि सरकार को इस विषय में दखल नहीं देना चाहिए। वहीं, लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश करने के लिए अग्रिम मोर्चे पर रहे कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि वह पार्टी में इस विषय को उठाएंगे। बाबलेश्वर सीट से विधायक पाटिल ने दावा किया कि चुनाव में कोई नुकसान नहीं हुआ। शिवकुमार वोक्कालिंगा समुदाय से आते हैं।
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