कर्नाटक: नहीं थमी 'रिजॉर्ट राजनीति', 15 मई से होटल में ही हैं कांग्रेस-JDS विधायक, ये है वजह
कर्नाटक में राजनीतिक संकट पैदा होने के बाद पिछले 9 दिन से एक आलीशान रिज़ॉर्ट और होटल में रह रहे विधायक अपने परिवारों से दूर हैं और अपने परेशानी भरे दिन खत्म होने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं...
बेंगलुरु: भाजपा की ओर से ‘‘ऑपरेशन कमल’’ दोहराए जाने की आशंका ने कर्नाटक में ‘‘रिज़ॉर्ट की राजनीति’’ को लंबा खींच दिया है। विधानसभा में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बहुमत परीक्षण से एक दिन पहले भी कांग्रेस और जनता दल-सेक्यूलर (जेडीएस) के विधायक होटल में ही हैं। बीते 15 मई को राज्य की जनता की ओर से विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश दिए जाने के बाद से ही दोनों पार्टियों के विधायक होटल में हैं।
कर्नाटक में राजनीतिक संकट पैदा होने के बाद पिछले 9 दिन से एक आलीशान रिज़ॉर्ट और होटल में रह रहे विधायक अपने परिवारों से दूर हैं और अपने परेशानी भरे दिन खत्म होने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि इन विधायकों की फोन तक भी पहुंच नहीं है कि वे अपने परिजन के संपर्क में रह सकें। लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के नेता इन दावों को नकार रहे हैं। खबरों में कहा गया कि विधायकों ने कम से कम एक दिन के लिए अपने घर जाने की इजाजत मांगी, लेकिन उनका अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया।
यूं तो कोई भी इन दावों की प्रामाणिकता का पता नहीं लगा सकता, लेकिन विधायकों को मीडिया से दूर रखा गया है। किसी राजनीतिक पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के कारण कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव बाद गठबंधन बनाया और कुमारस्वामी को कल मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। कुमारस्वामी को कल विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। उम्मीद की जा रही है कि वह बहुमत साबित कर देंगे।
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बहरहाल, कोई जोखिम नहीं उठाते हुए कांग्रेस ने अपने विधायकों को डोमलुर स्थित हिल्टन एम्बैसी गोल्फलिंक्स में रखा है जबकि जेडीएस ने अपने विधायकों को बेंगलुरु के बाहरी इलाके देवनाहल्लीयोन के प्रेस्टीज गोल्फशायर रिज़ॉर्ट में रखा है। कांग्रेस के एक नेता ने अपनी पहचान का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘हमारे विधायक बहुमत परीक्षण पूरा होने तक रिज़ॉर्ट में रहेंगे। इसके बाद उन्हें आजाद कर दिया जाएगा ताकि वे अपने परिवारों से मिल सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गलत छवि बनाई जा रही है कि हमारे विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। यदि यह बंधक बनाकर रखा जाना है तो हर कोई ऐसे ही रहना चाहेगा। लोग भूल रहे हैं कि वे आलीशान रिज़ॉर्ट में हैं, जिसे इस्तेमाल करना आम लोगों के लिए बहुत मुश्किल है।’’
कांग्रेस नेता ने इस दावे को भी खारिज किया कि उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि बाहरी दुनिया से उनका कोई संपर्क न रहे। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास उनके फोन हैं और वे अपने परिवारों से बात कर रहे हैं। कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि बहुमत परीक्षण में नई सरकार नाकाम हो जाए।’’ जेडीएस ने भी इस दावे को खारिज किया कि उसके विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है और वे होटल परिसर से बाहर की दुनिया के संपर्क में नहीं हैं।
जेडीएस के मीडिया सेल के प्रभारी सदानंद ने कहा, ‘‘बहुमत परीक्षण खत्म होने के बाद हमारे विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे। किसी ने उनका मोबाइल फोन नहीं लिया है। वे अपने परिजन से खुलकर बातें कर रहे हैं।’’ ‘‘ऑपरेशन कमल’’ या ‘‘ऑपरेशन लोटस’’ नाम के शब्द 2008 में उस वक्त इस्तेमाल किए गए थे जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था। पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की दरकार थी। ‘‘ ऑपरेशन कमल ’’ के तहत कांग्रेस और जद एस के कुछ विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें। उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वास मत जीत गए थे।
इस बार येदियुरप्पा को जब ऐसे ही हालात में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई तो कुमारस्वामी ने कहा था कि भाजपा ‘‘ऑपरेशन कमल’’ दोहराना चाह रही है।