बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है। येदियुरप्पा ने ध्वनिमत से विश्वासमत प्रस्ताव जीत लिया। इसके साथ ही राज्य में अब बीजेपी की खुद के दम पर बहुमत वाली सरकार के लिए रास्ता साफ हो गया। इससे पहले उन्होंने अपनी 3 दिन पुरानी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए राज्य विधानसभा में सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। येदियुरप्पा ने कम संख्या बल वाली विधानसभा में एक पंक्ति का प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया कि सदन को उनके नेतृत्व वाली सरकार में भरोसा है।
‘नहीं करेंगे प्रतिशोध की राजनीति’
येदियुरप्पा विश्वासमत पर वोटिंग से पहले ही बहुमत साबित करने को लेकर बेहद आशान्वित दिख रहे थे। इसकी वजह ये थी की बीजेपी के पास पर्याप्त संख्याबल था। विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते हुए अपनी टिप्पणी में येदियुरप्पा ने कहा कि वह ‘प्रतिशोध की राजनीति’ में लिप्त नहीं होंगे और वह ‘भूलने एवं माफ करने के सिद्धांत’ में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र पटरी से उतर चुका है और उनकी प्राथमिकता इसे वापस पटरी पर लाने की है। येदियुरप्पा को हालांकि बहुमत पाने के लिए बहुत मशक्कत नहीं करनी पड़ी और उन्होंने ध्वनिमत से इसे हासिल कर लिया।
स्पीकर के कदम ने 'आसान' कर दी बीजेपी की राह
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने अपनी सरकार गिर जाने के 2 दिन बाद कहा था कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में कोई भी स्थिर सरकार नहीं दे सकता। हालांकि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करके बीजेपी की राह आसान कर दी थी। 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद सदन में विधायकों की संख्या 224 से घटकर 207 रह गई थी जिसके बाद बीजेपी को बहुमत के लिए 104 विधायक चाहिए थे। बीजेपी के लिए अच्छी बात यह थी कि उसके खुद के 105 विधायक हैं और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है।
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