सिखों को साधने की कवायद में CM कमलनाथ, करतारपुर साहिब मुख्यमंत्री तीर्थ योजना में शामिल
कमलनाथ सरकार का करतारपुर साहिब को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करना बीजेपी को सिख दंगों के पाप धोने की कवायद जैसा दिखने लगा है...
नई दिल्ली: कमलनाथ सरकार का करतारपुर साहिब को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करना बीजेपी को सिख दंगों के पाप धोने की कवायद जैसा दिखने लगा है। बीजेपी कमलनाथ के फैसला का स्वागत तो कर रही है लेकिन ये भी कहने से नहीं चूक रही कि ऐसा करने से कमलनाथ के पाप नहीं धुलेंगे, उन्हें सिखो से माफी मांगनी होगी। इसके बाद ये मुद्दा भी अब सियासी हो चला है।
1984 सिख दंगों के आरोपों से घिरे सीएम कमलनाथ ने अब सिखों को साधने की कवायद शुरू की है। मध्यप्रदेश को सिख धार्मिक स्थलों के तौर पर विकसित करने के लिए 12 करोड आवंटित करने के बाद अब पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब को मध्यप्रदेश की तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने का फैसला लिया गया है। ऐसे में बीजेपी करतारपुर साहिब तीर्थ को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का स्वागत करते हुए ही सीएम कमलनाथ पर निशाना भी साध रही है।
बीजेपी का कहना है कि कमलनाथ सिर्फ ऐसा कर सिख दंगों के अपने पाप धोने की कोशिश कर रहे हैं। सीएम कमलनाथ को 1984 दंगों के मामले में सिखों से माफी मांगनी चाहिए। पूर्व मंत्री एवं बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा, ''करतारपुर साहिब को सीएम तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने का हम स्वागत करते हैं लेकिन इसके साथ ही कमलनाथ जी को स्पष्ट करना चाहिए कि 1984 के सिख दंगों में उनकी क्या भूमिका थी। मुझे लगता है कि कमलनाथ जी को देश से और सिख समुदाय से माफी मांगनी चाहिए। पीछे के दरवाजे से राजनीतिक सन्देश देकर करतारपुरा साहिब जी का सहारा ले रहे हैं।''
इस योजना की शुरुआत मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 अगस्त 2012 में की थी। इस योजना के तहत सभी बुजुर्ग यात्रियों को मुफ्त में तीर्थ दर्शन कराया जाना था। यात्रा के दौरान बुजुर्गों के भोजन, बीमा, चिकित्सा उपचार और गाइड की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा रही थी। इस योजना के अंतर्गत केवल मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नागरिक जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक हो आ सकते हैं। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के साथ एक व्यक्ति को सहायक के तौर पर निशुल्क यात्रा करने की अनुमति दी गई है।
मध्य प्रदेश सरकार इस योजना के अंतर्गत श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री जगन्नाथ पुरी, श्री द्वारका जी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णो देवी, शिर्डी, तिरुपति बालाजी, अजमेर शरीफ, काशी, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला और वेलागादी चर्च नागापटनम और पटना साहिब गुरुद्वारा बिहार शामिल है। दूसरे देशों में कैलाश मानसरोवर चीन, हिंगलाज देवी मंदिर पाकिस्तान, ननकाना साहिब पाकिस्तान, सीता मंदिर श्रीलंका, अशोक वाटिका श्रीलंका, अंकोरवाट कंबोडिया और अब करतारपुर पाकिस्तान।
वहीं, पिछले दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिख समाज के हित में निर्णय लेते हुए गुरु नानक देव जी की यादों से जुड़े। मध्यप्रदेश के भोपाल के टेकरी साहिब, इंदौर के इमली साहिब, बेटमा साहिब, ओमकारेश्वर स्थित गुरुद्वारा, उज्जैन का गुरु नानक घाट गुरुद्वारा के साथ जबलपुर के ग्वारीघाट गुरुद्वारा में विकास कार्य और सुविधाओं के विस्तार के लिए 2-2 करोड़ रुपये देने का भी निर्णय लिया था। ऐसे में गुरु नानक देव जी के 550वें गुरुपर्व पर कमलनाथ सरकार के अध्यात्म विभाग ने आदेश जारी करते हुए पाकिस्तान में सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किया है।
भाजपा के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सरकार के मंत्री मानते हैं कि कमलनाथ को आरोपों से क्लीन चिट मिल चुकी है।
बहरहाल उधर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा भी कुछ दिन पहले ही सोनिया गांधी को पत्र लिख कमलनाथ और जगदीश टाइटलर को कांग्रेस से बाहर करने की मांग कर चुके हैं। अब सिखों के हित में करतारपुर साहिब के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने को बीजेपी सिख विरोधी छवि सुधारने की कमलनाथ की कवायद से जोड़ कर देखने लगी है।