रांची: झारखंड हाई कोर्ट की एक बेंच ने चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद सहित 6 लोगों की सजा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर CBI की ओर से दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई से इनकार कर दिया। दरअसल, इस बेंच में शामिल एक जज ने कहा कि वह चारा घोटाले के एक मामले में CBI के वकील रह चुके हैं। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और केपी देव की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई से इनकार कर दिया और मामले को दूसरी पीठ में भेजने का निर्देश दिया।
मंगलवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो उसी दौरान जस्टिस केपी देव ने कहा कि वह CBI के वकील रह चुके हैं, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रहे हैं। इसके बाद खंडपीठ ने इस मामले को दूसरी पीठ के पास भेजने का निर्देश दिया। देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में CBI की विशेष अदालत से लालू प्रसाद, आरके राणा, बेक जूलियस, महेश प्रसाद, फूलचंद्र सिंह और सुबीर कुमार भट्टाचार्य को 3.5 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। वहीं, इस मामले में केवल जगदीश शर्मा को 7 साल की सजा दी गई थी।
CBI की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद सहित अन्य पर उच्च-स्तरीय षडयंत्र का आरोप है, ऐसे में सजा भी समान होनी चाहिए। अर्थात CBI ने इस मामले में लालू यादव समेत 6 अन्य आरोपियों को भी कम से कम 7 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दिए जाने की मांग की है। लालू यादव चारा घोटाले के 4 विभिन्न मामलों में 14 वर्ष तक की कैद की सजा पाने के बाद यहां न्यायिक हिरासत में रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं।
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