सत्यपाल मलिक कल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर लेंगे शपथ
सत्यपाल मलिक करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं। जम्मू कश्मीर में कर्ण सिंह के बाद इस पद पर काबिज होने वाले वह प्रथम राजनीतिज्ञ होंगे।
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के नव नियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक कल पद और गोपनीयत का शपथ लेंगे। इस तरह, राज्य में इस पद पर किसी सेवानिवृत्त नौकरशाह को नियुक्त किए जाने की पांच दशकों से चली आ रही परंपरा समाप्त हो जाएगी। अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी। मलिक (72) करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं। जम्मू कश्मीर में कर्ण सिंह के बाद इस पद पर काबिज होने वाले वह प्रथम राजनीतिज्ञ होंगे। गौरतलब है कि सिंह 1965 से 1967 के बीच राज्य के राज्यपाल रहे थे। बिहार के पूर्व राज्यपाल मलिक आज एक चार्टर्ड विमान से श्रीनगर पहुंचे।
राज्य के निवर्तमान राज्यपाल एनएन वोहरा पिछले 10 साल से इस पद पर थे। वोहरा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार मुलाकात के लिए आए। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की। इस साल जून में भाजपा द्वारा अपने गठबंधन साझीदार पीडीपी से समर्थन वापस ले लेने के बाद से राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन है। वोहरा 1959 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। केंद्र में अलग-अलग पार्टी की सरकार रहने के बावजूद वह अपनी जानकारी, विशेषज्ञता और वार्ता कौशल को लेकर इस पद पर केंद्र की पसंद बने रहें।
आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में सबसे कठिन दौर जिसमें अमरनाथ आंदोलन विवाद शामिल है, का सामना करने के साथ साथ उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के बढ़ने और इसकी समाप्ति भी देखी। वर्ष 1984 में ‘‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’’ के बाद वह पंजाब के गृह सचिव थे जब राज्य में खालिस्तान के लिए खूनी संघर्ष हो रहा था। वर्ष 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार विस्फोटों के शीघ्र बाद वोहरा को केंद्रीय गृह सचिव नियुक्त किया गया था। वह 1994 में सेवानिवृत्त हो गए।
मलिक ने मेरठ विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत में 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे। मलिक 1984 में कांग्रेस में शामिल हो गए और राज्यसभा सदस्य बने लेकिन बोफोर्स घोटाले के मद्देनजर तीन साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वह वीपी सिंह नीत जनता दल में 1988 में शामिल हुए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद चुने गए।
वर्ष 2004 में मलिक भाजपा में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से शिकस्त का सामना करना पड़ा। बिहार के राज्यपाल पद की चार अक्टूबर 2017 को शपथ लेने से पहले वह भाजपा किसान मोर्चा के प्रभारी थे।