जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की तैयारी? लेकिन बैठक में नहीं पहुंचे फारूख अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का खाका तैयार करने के लिए परिसीमन आयोग की गुरुवार को नई दिल्ली में बैठक हुई।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का खाका तैयार करने के लिए परिसीमन आयोग की गुरुवार को नई दिल्ली में बैठक हुई। परिसीमन आयोग की अध्यक्ष जस्टिस (रि) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में हुई इस पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर के सांसदों और निर्वाचन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। हालांकि, इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के पांचों सांसदों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन फारूख अब्दुल्ला समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीनों सांसदों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। बैठक में उधमपुर से बीजेपी के सांसद एवं केद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू से बीजेपी सांसद जुगल किशोर शर्मा शामिल हुए।
बैठक में NC सांसदों ने नहीं लिया हिस्सा
बता दें कि परिसीमन आयोग में जम्मू-कश्मीर के 5 सांसद एसोसिएट सदस्य हैं। फारूख अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीनों सांसद बैठक में शामिल होने से इनकार कर चुके थे। बैठक में फारूख अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन ने हिस्सा नहीं लिया। बैठक के बाद आयोग की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'अध्यक्ष न्यायमूर्ति देसाई ने बैठक में सहयोगी सदस्यों-राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंहऔर सांसद श्री जुगल किशोर शर्मा का स्वागत किया। परिसीमन आयोग ने 05 फरवरी को पत्र द्वारा सभी 5 सहयोगी सदस्यों– डॉ. फारूक अब्दुल्ला, श्री मोहम्मद अकबर लोन, श्री हसनैन मसूदी, श्री जुगल किशोर शर्मा और डॉ. जितेन्द्र सिंह को बैठक की सूचना दी थी, लेकिन आज की बैठक में सिर्फ दो सहयोगी सदस्य उपस्थित हुए।' बैठक में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और परिसीमन अधिनियम, 2002 के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया के बारे में सदस्यों को जानकारी दी गयी और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के परिसीमन कार्य से संबंधित इन अधिनियमों की विभिन्न धाराओं का विवरण भी प्रस्तुत किया गया।
‘व्यावहारिक होना चाहिए परिसीमन’
आयोग द्वारा बैठक के बाद जारी बयान के मुताबिक, दोनों सहयोगी सदस्यों ने आयोग के प्रयासों की सराहना की और सुझाव दिया कि चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन, जहां तक संभव हो, व्यावहारिक रूप से किया जाना चाहिए, परिसीमन भौगोलिक रूप से सघन क्षेत्रों के लिए होना चाहिए और परिसीमन करते समय भौगोलिक विशेषताओं; प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं; संचार और सार्वजनिक सुविधा आदि पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया के दौरान दुर्गम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया। चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने उनके मूल्यवान सुझावों का स्वागत किया और परिसीमन आयोग की तरफ से सहयोगी सदस्यों के सुझावों और विचारों पर संतुष्टि व्यक्त की। सदस्यों ने आने वाले दिनों में और सुझाव देने की इच्छा व्यक्त की।
जम्मू-कश्मीर में हो जांएंगे 114 विधानसभा क्षेत्र
जम्मू-कश्मीर में पुनर्गठन अधिनियम के तहत विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 114 हो जाएगी। 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षित रहेंगी और 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा। इसके अलावा अब विधानसभा के लिए कश्मीर संभाग में भी अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटें भी होंगी। वहीं, परिसीमन आयोग की पहली बैठक से पहले कश्मीरी पंडित विस्थापितों के लिए 5 आरक्षित सीटों की मांग की गई थी।